Tulsidas Ka Janm Kab Hua Tha – आज के इस लेख में हम आपको तुलसीदास जी का जन्म कब हुआ था, तुलसीदास जी का जन्म कहां हुआ था, साथ ही तुलसीदास के बारे में कुछ रोचक तथ्य बताने वाले है। इसलिए इस लेख के अंत तक बने रहे। तो आइये जानते है तुलसीदास जी का जन्म कब हुआ था, तुलसीदास जी का जन्म कहां हुआ था (Tulsidas Ka Janm Kahan Hua Tha) –
तुलसीदास जी का जन्म कब और कहां हुआ था (Tulsidas Ka Janm Kab Hua Tha Aur Kahan Hua Tha)
गोस्वामी तुलसी दास जी का जन्म 1511 ई. में उत्तर प्रदेश (यूपी) के कासगंज में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। लेकिन कुछ विद्वानों का मानना है कि तुलसी दास जी का जन्म राजापुर जिले के चित्रकूट में हुआ था।
तुलसीदास का जन्म एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। तुलसीदासजी ने जन्म लेते ही राम का नाम लिया और इसलिए उनका नाम ‘राम बोला’ रखा गया। तुलसीदासजी सरयूपारी ब्राह्मण थे, वे गोसाईं समुदाय से थे।
मान्यता है कि 12 महीने तक अपनी मां के गर्भ में रहने के कारण तुलसीदास बहुत स्वस्थ थे। जन्म के समय उनके मुंह में 32 दांत थे और जन्म लेते ही उन्होंने राम शब्द बोला, जिसके कारण उनका नाम रामबोला रखा गया।
मान्यता है कि तुलसीदास को हनुमान, भगवान राम-लक्ष्मण और शिव-पार्वती के प्रत्यक्ष दर्शन हुए थे। यात्रा के दौरान काशी में तुलसीदास की मुलाकात एक प्रेत से हुई, जिसने उन्हें हनुमानजी का पता बताया। हनुमानजी के दर्शन करने के बाद तुलसीदास जी ने हनुमान जी भगवान श्री राम जी के दर्शन की प्रार्थना की। जिसके बाद उन्हें भगवान राम के दर्शन हुए लेकिन वे भगवान श्री राम जी को पहचान नहीं सके।
इसके बाद मौनी अमावस्या के दिन उन्हें फिर से भगवान श्री राम के दर्शन हुए, वे बालक रूप में आए और तुलसीदास से बोले- “बाबा! हमें चंदन चाहिए, क्या हमें आप चंदन दे सकते हैं?” हनुमान जी (Hanuman Ji) ने विचार किया कि शायद तुलसीदास जी (Tulsidas Ji) इस बार भी धोखा में न पड़ जाए, इसलिए हनुमान जी (Hanuman Ji) ने तोते का रूप लिया और दोहा बोलकर इशारा किया।
चित्रकूट के घाट पर, भइ सन्तन की भीर।
तुलसिदास चन्दन घिसें, तिलक देत रघुबीर॥
श्री राम जी की उस अद्भुत छवि को देखते हुए तुलसीदास अपनी देह भूल गए। भगवान ने स्वयं अपने हाथों से चंदन लेकर उनके और तुलसीदास जी के माथे पर लगाया और अंतर्ध्यान हो गए।
तुलसीदास जी के बारे में रोचक बाते
तुलसीदास जी के जन्म और मृत्यु के बारे में अलग-अलग कहानियाँ प्रचलित हैं। कुछ जगहों पर उनका जीवन काल 1497 से 1623 ई. के बीच बताया जाता है, जबकि कुछ के अनुसार तुलसीदास जी 1543 से 1623 ई. तक जीवित रहे।
उनकी माता का नाम हुलसी और पिता का नाम आत्माराम दुबे था। उनका जन्म एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था और जन्म के समय उनका नाम रामबोला था।
तुलसीदास जी का विवाह रत्नावली नाम की कन्या से हुआ था। एक बार जब उनकी पत्नी अपने मायके गई तो वे भी उनके पीछे-पीछे वहाँ चले गए। जब उनकी पत्नी ने यह देखा तो उन्होंने कहा कि जितना प्रेम तुम मुझसे करते हो, यदि उसका आधा भी भगवान से करते तो तुम्हारा कल्याण हो जाता। तुलसीदास जी अपनी पत्नी के इस कथन से आहत हुए और वे घर-बार छोड़कर भक्ति के सागर में डूब गए।
एक दिन स्वप्न में भगवान शिव ने तुलसीदास को अपनी भाषा में काव्य रचना करने का आदेश दिया। अद्भुत ग्रन्थ रामचरितमानस दो वर्ष, सात माह और छब्बीस दिन में पूरा हुआ।
इसके बाद भगवान की आज्ञा से तुलसीदास जी काशी आये। वहाँ उन्होंने भगवान विश्वनाथ और माता अन्नपूर्णा को श्री रामचरितमानस सुनाया। रात्रि में ग्रन्थ को विश्वनाथ मंदिर में रख दिया गया। प्रातःकाल जब मंदिर के पट खोले गये तो ग्रन्थ पर लिखा हुआ मिला – सत्यम् शिवम् सुन्दरम्, जिसके नीचे भगवान शंकर के हस्ताक्षर (पुष्टि) थे। उस समय वहाँ उपस्थित लोगों ने भी यह ध्वनि “सत्यम् शिवम् सुन्दरम्” सुनी।
तुलसीदास जी ने अपने जीवन का अधिकांश समय वाराणसी में बिताया। यही कारण है कि वाराणसी में गंगा नदी पर बना प्रसिद्ध ‘तुलसी घाट’ उनके नाम से जाना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि तुलसीदास जी ने अपने जीवन का अधिकांश समय इसी स्थान पर बिताया था। तुलसीदास जी ने वाराणसी के अस्सी घाट पर अपनी अंतिम सांस ली थी।
मान्यताओं के अनुसार, वाराणसी में भगवान हनुमान का प्रसिद्ध संकटमोचन मंदिर तुलसीदास जी ने ही बनवाया था। यह भी माना जाता है कि इस मंदिर की स्थापना से पहले भगवान हनुमान ने तुलसीदास जी को दर्शन दिए थे, जिसके बाद उन्होंने संकटमोचन मंदिर की स्थापना की।
ऐसा माना जाता है कि तुलसीदास जी भगवान हनुमान के बाद राम जी के दूसरे सबसे बड़े भक्त थे, अपनी भक्ति के कारण ही कलयुग में वे एकमात्र ऐसे व्यक्ति थे, जिन्हें भगवान श्री राम, श्री लक्ष्मण और श्री हनुमान जी के दर्शन प्राप्त हुए थे।
‘हनुमान चालीसा’ भी तुलसीदास जी की एक प्रसिद्ध रचना है। ‘हनुमानाष्टक’ की रचना भी तुलसीदास जी ने ही की है।
मान्यताओं के अनुसार, तुलसीदास जी को रामचरितमानस लिखने में लगभग 2 वर्ष 7 महीने और 26 दिन लगे थे।
FAQs
तुलसी जी का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
तुलसी जी का जन्म 1511 ई. में उत्तर प्रदेश (यूपी) के कासगंज में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था।
तुलसीदास जी का जन्म कौन से युग में हुआ था?
तुलसीदास जी का जन्म कलियुग में हुआ था।
तुलसीदास किसका भक्त था?
तुलसीदास राम हनुमान भक्त थे।
क्या तुलसीदास ने हनुमान को देखा था?
हाँ, तुलसीदास ने हनुमान जी को देखा था।