Purab Paschim Uttar Dakshin In English Meaning – दिशा का ज्ञान होना बहुत जरूरी है, हर व्यक्ति को यह पता होना चाहिए कि पूर्व दिशा, पश्चिम दिशा, उत्तर दिशा, दक्षिण दिशा कौन सी दिशा है। वास्तु शास्त्र में दिशा का बहुत महत्व है। वास्तु शास्त्र में दिशा के माध्यम से घर के विभिन्न हिस्सों और स्थानों को सही जगह पर बनाया जाता है। तो आइये जानते है –
पूरब पश्चिम उत्तर दक्षिण मीनिंग इन इंग्लिश (Purab Paschim Uttar Dakshin In English Meaning)
- पूरब (East)
- पश्चिम (West)
- उत्तर (North)
- दक्षिण (South)
पूरब पश्चिम उत्तर दक्षिण दिशा का पता कैसे लगाए?
जब सूरज उग रहा होगा, तो आपको पता होगा कि सूरज पूर्व दिशा से उगता है। इसलिए आपको सूरज की ओर मुंह करके खड़ा होना है, तो आपके सामने की दिशा पूर्व दिशा होगी, वही आपकी पीठ के पीछे की दिशा पश्चिम दिशा होगी, इसी तरह आपके बाएं हाथ की दिशा उत्तर दिशा होगी और आपके दाहिने हाथ की दिशा पश्चिम दिशा होगी।
अगर दोपहर का समय है, तो सूरज दक्षिण दिशा की ओर है, तो उस समय आपको सूरज की ओर मुंह करके खड़ा होना है, तो आपके सामने की दिशा दक्षिण दिशा होगी, आपकी पीठ के पीछे की दिशा उत्तर दिशा होगी, आपके दाहिने हाथ की दिशा पश्चिम दिशा होगी और आपके बाएं हाथ की दिशा पूर्व दिशा होगी।
अगर शाम का समय है, तो सूरज पश्चिम दिशा की ओर है, तो उस समय आपको सूरज की ओर मुंह करके खड़ा होना है। इस समय आपके सामने की दिशा पश्चिम दिशा होगी, आपकी पीठ के पीछे की दिशा पूर्व दिशा होगी, आपके दाहिने हाथ की दिशा उत्तर दिशा होगी और आपके बाएं हाथ की दिशा दक्षिण दिशा होगी।
पूरब पश्चिम उत्तर दक्षिण दिशा का रात में पता कैसे लगाए?
दिन होने के कारण अक्सर लोगों को रात में दिशा देखने में परेशानी होती है, लेकिन आप रात में भी बड़ी आसानी से दिशा का पता लगा सकते हैं। अगर आपको रात में दिशा का पता लगाना है तो आप चांद को देखकर दिशा का पता लगा सकते हैं। ऐसा कहा जा सकता है कि चांद हमेशा पूर्व दिशा से उगता है और पश्चिम दिशा में जाकर अस्त हो जाता है।
वास्तु शास्त्र में दिशा और उनका महत्व
पूर्व दिशा – इस दिशा का स्वामी ग्रह सूर्य है और देवता इंद्र हैं। यह दिशा अच्छे स्वास्थ्य, बुद्धि और समृद्धि की सूचक है, इसलिए जब आप घर बनवाएं तो पूर्व दिशा का कुछ हिस्सा खुला छोड़ दें। नियम के अनुसार इस स्थान को थोड़ा नीचा रखना चाहिए ताकि आपको अपने पूर्वजों का आशीर्वाद मिलता रहे। अगर यह दिशा खराब है तो सिरदर्द और हृदय रोग जैसी बीमारियां होती हैं।
पश्चिम दिशा – इस दिशा का स्वामी ग्रह शनि है और देवता वरुण हैं। यह दिशा सफलता और प्रसिद्धि का संकेत देती है। इस दिशा में गड्ढे और दरारें नहीं होनी चाहिए और न ही यह दिशा नीची होनी चाहिए। अगर घर के मालिक को किसी काम में सफलता नहीं मिल रही है तो आपको समझ लेना चाहिए कि इस दिशा में कोई दोष है। अगर यह दिशा खराब है तो पेट और गुप्तांगों में बीमारी होती है।
उत्तर दिशा – इस दिशा का स्वामी ग्रह बुध है और देवता कुबेर हैं। यह दिशा बुद्धि, ज्ञान और चिंतन की दिशा है। इस दिशा से माता का भी विचार किया जाता है, इसलिए यदि आप उत्तर दिशा में कुछ जगह खाली छोड़कर भवन का निर्माण करते हैं, तो माता के स्वास्थ्य को लाभ होता है। यदि यह दिशा ऊंची और दोषपूर्ण है, तो छाती और फेफड़ों की बीमारी हो सकती है।
दक्षिण दिशा – इस दिशा का स्वामी ग्रह मंगल है और देवता यमराज हैं। यह दिशा पद और प्रतिष्ठा को दर्शाती है। इस दिशा से पिता के सुख का भी विचार किया जाता है। इस दिशा को जितना भारी और ऊंचा रखेंगे, समाज में उतना ही मान-सम्मान मिलेगा। यह शरीर की रीढ़ की हड्डी का भी कारक है। इस दिशा में कभी भी दर्पण और पानी की व्यवस्था नहीं करनी चाहिए।
आग्नेय कोण – इस दिशा का स्वामी ग्रह शुक्र है और देवता अग्नि देव हैं। यह दिशा व्यक्ति के स्वास्थ्य के बारे में बताती है। संतान का प्रजनन और वृद्धि इसी दिशा से होती है। आपकी नींद और सोने का सुख भी इसी दिशा से देखा जाता है। अगर यह दिशा खराब हो तो स्त्री को दोष लगता है और संतान को जन्म देने में परेशानी होगी। अगर यह दिशा खराब हो तो लोग आलसी हो जाते हैं। इस दिशा को हमेशा दोषपूर्ण रखने से पति-पत्नी अच्छे शारीरिक सुख का आनंद लेते हैं।
नैऋत्य कोण – इस दिशा का स्वामी ग्रह राहु है और देवता नैऋति नामक राक्षस महिला है। यह दिशा राक्षसों और क्रूर लोगों की दिशा है। अगर घर की किसी महिला के साथ शारीरिक दुर्व्यवहार होता है, तो यह इस दिशा के दोष के कारण होता है। इसलिए इस दिशा को कभी भी खाली और खाली नहीं छोड़ना चाहिए। यह दिशा घर के मालिक की निर्णय शक्ति को दर्शाती है। अगर यहां पानी, गड्ढा या नीचा है, तो घर में असामयिक मृत्यु होती है।
वायव्य कोण – इस दिशा का स्वामी ग्रह चंद्रमा है और देवता पवन देव हैं। यह दिशा आपके घर आने वाले लोगों और आपके दोस्तों से जुड़ी हुई है। आपका मानसिक विकास और आपके शुक्राणु भी इस दिशा से देखे जाते हैं। यह कोना ईशान कोण से अधिक नीचा नहीं होना चाहिए। यहां ऊंची इमारत बनाने से आपके दुश्मनों की संख्या बढ़ती है और घर की महिला बीमार रहती है।
वायव्य कोण – इस दिशा का स्वामी ग्रह गुरु है और देवता श्री विष्णु हैं। यह दिशा ज्ञान, विवेक और बुद्धि की सूचक है। इस दिशा को हमेशा साफ, खुला और नीचा रखें। कोशिश करें कि इस दिशा में किसी भी तरह का निर्माण कार्य न करें। अगर यह दिशा दोषरहित है तो पूरे परिवार में समृद्धि आती है। इस दिशा में बाथरूम होना या कूड़ा-कचरा रखना बीमारी का संकेत है।
FAQs
चारों दिशाओं की पहचान कैसे करें?
अगर हम पूर्व (सूर्य) की ओर मुख करके खड़े हैं, तो हमारी पीठ के पीछे पश्चिम दिशा है, हमारे दाहिने हाथ की ओर दक्षिण दिशा है और हमारे बाएं हाथ की ओर उत्तर दिशा है।
सूर्य किस दिशा में उगता है?
सूर्य पूर्व में उगता है।
पूर्व दिशा कहाँ है?
जिस दिशा में सूर्य उगता है उसे पूर्व दिशा कहते हैं।
पश्चिम दिशा कहाँ है?
जिस दिशा में सूर्य अस्त होता है उसे पश्चिम दिशा कहते हैं।
दक्षिण दिशा कहाँ है?
जब हम सूर्य की ओर मुख करके खड़े होते हैं, तो हमारे दाहिने हाथ की दिशा को दक्षिण दिशा कहते हैं।
उत्तर दिशा कहाँ है?
जब हम सूर्य की ओर मुख करके खड़े होते हैं, तो हमारे बाएं हाथ की दिशा को उत्तर दिशा कहते हैं।