Natak Aur Ekanki Mein Antar – आज के इस लेख में आप जानेगे की नाटक और एकांकी में अंतर क्या है? तो आइये जानते है नाटक एवं एकांकी में अंतर (Natak Or Ekanki Me Antar) –
नाटक और एकांकी में अंतर (एकांकी और नाटक में अंतर) – Natak Aur Ekanki Mein Antar In Hindi Mein
1) नाटक में कई अंक होते हैं, जबकि एकांकी में केवल एक अंक होता है।
2) नाटक में अधिक (ज्यादा) पात्र होते हैं, जबकि एकांकी में कम पात्र होते हैं।
3) नाटक में एक मुख्य कथा और कई अंत: कथाएँ होती हैं, जबकि एकांकी नाटक एक ही घटना पर आधारित होता है।
4) नाटक के बड़े आकार के कारण, इसे अधिक समय में मंचित होता है, जबकि नाटक के छोटे होने के कारण, इसका अभिनय कम समय में होता है।
5) नाटक में छोटी-छोटी घटनाओं का भी वर्णन किया जाता है, जबकि एकांकी में छोटी-छोटी घटनाओं का वर्णन नहीं किया जाता।
6) नाटक में कहानी के विचारों का विस्तार किया जाता है, जबकि एकांकी में विचारों का केवल संकेत दिया जाता है।
7) नाटक में स्थान और समय सीमा का विस्तार किया जाता है। एकांकी में भी स्थान और समय सीमा का विस्तार किया जाता है।
8) नाटक साहित्य की वह दृश्य विधा है जिसमें अभिनय, नृत्य, संवाद, आकृति, वेशभूषा और संगीत के माध्यम से अलौकिक आनंद का अनुभव होता है, जबकि एकांकी में केवल एक ही मुद्दा होता है, इसमें (एकांकी में) किसी व्यक्ति, घटना या प्रसंग का वर्णन नहीं होता, बल्कि उसके केवल एक हिस्से यानी भाग का वर्णन होता है।
9) नाटक दृश्य काव्य का एक बड़ा रूप है, जबकि एकांकी दृश्य का एक छोटा रूप है।
नाटक क्या है?
नाटक काव्य का एक अंग है जो दृश्य काव्य के अंतर्गत आता है। अगर सरल भाषा में समझाया जाए तो जो लोग रंगमंच, टीवी, रेडियो पर किसी कहानी को विस्तार से प्रस्तुत करते हैं, वो भी अभिनय करते हुए, उसे ही हम नाटक कहते हैं। नाटक में कई पात्र होते हैं, जिनके अपने-अपने नाम होते हैं और उन्हें अपने-अपने पात्रों के अनुसार अभिनय करना होता है। नाटक में कई लोग एक साथ अभिनय करते हैं और इसमें कोई भी वाक्य या पूरी कहानी हाथ, पैर, आंख, चेहरा आदि का उपयोग करके भावों के साथ लोगों के सामने इस तरह प्रस्तुत की जाती है जैसे कि यह हमारे सामने घटित हो रही कोई कहानी हो।
एकांकी नाटक क्या है?
एकांकी किसी एक अंक वाले नाटक को कहते है। एकांकी का अर्थ है कि जब नाटक में केवल एक ही व्यक्ति का पूरा वर्णन हो, वो भी उसकी युवावस्था के बाद, तो हम उसे एकांकी कहते हैं। यह बहुत विस्तृत नहीं होता और प्रदर्शन के दौरान इसकी गति तेज होती है। नाटक की तरह इसे भी थिएटर, टीवी, रेडियो आदि में अभिनय के माध्यम से प्रस्तुत किया जाता है।