Munshi Premchand Ka Jeevan Parichay – मुंशी प्रेमचंद का नाम हिंदी साहित्य के महानतम लेखकों में आता है। उन्होंने अपना पूरा जीवन साहित्य साधना में बिता दिया था। हिंदी और उर्दू साहित्य में उनके विशेष योगदान के लिए उन्हें आज भी याद किया जाता है। उन्होंने अपने जीवन में 300 से ज्यादा कहानियां, एक दर्जन से ज्यादा उपन्यास, निबंध, आलोचना, लेख और संस्मरण जैसी कई विधाओं में साहित्य की रचना की। इसके साथ ही उन्होंने हिंदी पत्रकारिता के क्षेत्र में भी अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। तो आइये जानते है मुंशी प्रेमचंद का जीवन परिचय हिंदी में (Biography Of Munshi Premchand In Hindi) –
मुंशी प्रेमचंद की जीवनी इन हिंदी में (Munshi Premchand Ka Jeevan Parichay Hindi Mein)
मुंशी प्रेमचंद जी का जन्म सन 1880 में हुआ था, उनका जन्म वाराणसी जिले के लमही गांव में हुआ था। मुंशी जी का बचपन का नाम धनपत राय हुआ करता था, लेकिन वे उर्दू में ‘नवाबराय’ के नाम से और हिंदी में मुंशी प्रेमचंद के नाम से अपनी कहानियाँ लिखते थे। उनके दादा गुरु सहाय राय एक पटवारी थे और पिता अजायब राय डाक विभाग में पोस्ट मास्टर थे। बचपन से ही उनका जीवन काफी संघर्षों से गुजरा था।
एक गरीब परिवार में जन्म लेने और 7 साल की छोटी उम्र में मुंशी प्रेमचंद की मां आनंदी देवी की मृत्यु और 1897 में 9 साल की उम्र में उनके पिता की मृत्यु के कारण उनका बचपन बहुत कष्टमय बीता। लेकिन जिस हिम्मत और मेहनत के साथ उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी, वह प्रेरणादायी है।
प्रेमचंद की पहली शादी उनके पिता ने पंद्रह साल की छोटी उम्र में तय कर दी थी। उस समय मुंशी प्रेमचंद कक्षा 9 के छात्र थे। अपनी पहली पत्नी को छोड़ने के बाद उन्होंने 1906 में शिवरानी देवी से शादी की, जो एक महान लेखिका थीं। प्रेमचंद की मृत्यु के बाद उन्होंने “प्रेमचंद घर में” नामक प्रसिद्ध पुस्तक लिखी थी।
प्रेमचंद की शुरुवाती पढ़ाई सात वर्ष की आयु में एक स्थानीय मदरसे से शुरू हुई थी। यंहा प्रेमचंद जी ने जी ने हिंदी के साथ-साथ उर्दू और अंग्रेजी भाषा का भी ज्ञान प्राप्त किया। 1898 में मैट्रिक की परीक्षा पास करने के बाद शुरू में वे कुछ वर्षों तक एक स्कूल में अध्यापक रहे। नौकरी के साथ-साथ उन्होंने अपनी पढ़ाई भी जारी रखी।
1910 में उन्होंने अंग्रेजी, दर्शनशास्त्र, फारसी और इतिहास के साथ इंटरमीडिएट पास किया और 1919 में उन्होंने अंग्रेजी, फारसी और इतिहास के साथ बी.ए. किया। बी.ए. पास करने के बाद शिक्षा विभाग के सब-डिप्टी इंस्पेक्टर के पद पर उनकी नियुक्ति हुई।
1921 में असहयोग आंदोलन से सहानुभूति के कारण मुंशी प्रेमचंद ने सरकारी नौकरी छोड़ दी और जीवन भर साहित्य सेवा करते रहे। उन्होंने कई पत्रिकाओं का संपादन किया। इसके बाद उन्होंने अपना प्रेस खोला और ‘हंस’ नामक पत्रिका निकाली। लंबी बीमारी के बाद 8 अक्टूबर 1936 को उनका निधन हो गया।
मुंशी प्रेमचंद का असहयोग आंदोलन और पहला हिंदी उपन्यास
सभी शुरुआती रचनाएँ मुंशी प्रेमचंद जी की उर्दू भाषा में हुआ करती थी, जिनका बाद में उर्दू से हिंदी में अनुवाद किया गया। हिंदी में प्रेमचंद जी का पहला हिंदी उपन्यास 1918 में ‘सेवासदन’ नाम से प्रकाशित हुआ था। इसके बाद 1921 में ‘महात्मा गांधी’ के आह्वान पर पूरे देश में ‘असहयोग आंदोलन’ चल रहा था। मुंशी प्रेमचंद ने भी इस आंदोलन में हिस्सा लिया और अपनी सरकारी नौकरी में इंस्पेक्टर के पद से इस्तीफा दे दिया। फिर उन्होंने लेखन को अपना पेशा बनाया और साहित्य साधना में जुट गए।
मुंशी प्रेमचंद के उपन्यास
मुंशी प्रेमचंद जी ने कई उपन्यास लिखे थे। उनका पहला उपन्यास 1918 में प्रकाशित ‘सेवासदन’ था और उनका आखिरी उपन्यास 1936 में प्रकाशित ‘गोदान’ था। गोदान को भी हिंदी साहित्य की अमर कृति माना जाता है। मुंशी जी के सभी उपन्यासों के नाम इस प्रकार है – सेवासदन, वरदान, प्रेमाश्रम, रंगभूमि, कायाकल्प, निर्मला, गबन, कर्मभूमि, गोदान, मंगलसूत्र, रूठी रानी और प्रतिज्ञा।
मुंशी प्रेमचंद की कहानियाँ
मुंशी प्रेमचंद ने अपने साहित्यिक जीवन में 300 से अधिक कहानियों की रचना की थी। जिसे ‘मानसरोवर’ नामक पुस्तक द्वारा आठ खंडों में प्रकाशित किया गया है। यहाँ हम मुंशी जी की कुछ लोकप्रिय कहानियों के बारे में बता रहे हैं। जिसमें आप उनकी कुछ प्रतिनिधि कहानियों के बारे में जान सकेंगे –
बड़े घर की बेटी, ठाकुर का कुआं, दो बैलों की कथा, पंच परमेश्वर, ईदगाह, पूस की रात, नमक का दरोगा, कर्मों का फल, कफ़न, दुनिया का सबसे अनमोल रत्न, सवा सेर गेहुँ, गुल्ली-डंडा, दुर्गा का मंदिर, सच्चाई का उपहार, हार की जीत, बूढ़ी काकी आदि।
मुंशी प्रेमचंद के नाटक
मुंशी प्रेमचंद के नाटक कुछ इस प्रकार है – सग्राम, कर्बलार और प्रेम की वेदी।
मुंशी प्रेमचंद के निबंध
प्रेमचंद जी लेखक होने के साथ संपादक भी थे, प्रेमचंद जी ने कई गंभीर विषयों पर लेख/निबंध लिखे हैं। कुछ महत्वपूर्ण निबंधों का उल्लेख इस प्रकार है – स्वराज के फायदे, साहित्य का उद्देश्य, पुराना जमाना नया जमाना, कहानी कला (तीन भागों में), उपन्यास, हिंदी-उर्दू की एकता, महाजनी सभ्यता, कौमी भाषा के विषय में कुछ विचार, जीवन में साहित्य का स्थान।
मुंशी प्रेमचंद का बाल साहित्य
मुंशी प्रेमचंद जी ने बाल साहित्य भी लिखा था। यहां उनकी बाल साहित्य कृतियों के बारे में जानकारी इस प्रकार है – दुर्गादास, कुत्ते की कहानी, राम कथा, जंगल की कहानियाँ।