Indira Gandhi Ke Pati Ka Naam Kya Tha – आज के इस लेख में हम आपको इंदिरा गांधी का पति कौन था, इंदिरा गांधी के पति का नाम क्या था के बारे में जानकारी देने वाले है। तो आइये जानते है इंदिरा गांधी का पति कौन था (Indira Gandhi Husband Name In Hindi) –
इंदिरा गांधी के पति का नाम क्या था इन हिंदी (Indira Gandhi Ke Pati Ka Naam Kya Tha)
इंदिरा गांधी के पति का नाम फिरोज गाँधी था। इंदिरा गांधी और फिरोज गांधी का विवाह 26 मार्च 1942 को इलाहाबाद में हुआ था।
राहुल गांधी अपने नाम के साथ जो उपनाम ‘गांधी’ लगाते हैं, वह उनके परदादा फिरोज गांधी से लिया गया है, जो एक स्वतंत्रता सेनानी, पत्रकार और रायबरेली से सांसद थे। फिरोज गांधी का निधन साल 1960 में महज 48 साल की उम्र में हो चूका था।
12 सितंबर 1912 को बॉम्बे में जन्मे फिरोज गांधी का नाम फिरोज जहांगीर घांडी था। उनके माता-पिता रतिमाई और जहांगीर फरीदून घांडी पारसी थे, उनके पिता मरीन इंजीनियर थे।
फिरोज गांधी बहुत छोटे थे, जब उनके पिता का निधन हो गया। पिता की मृत्यु के बाद युवा फिरोज इलाहाबाद अपनी मौसी शिरीन (शिरीन कमिसरिएट) के पास चले गए, जो उन दिनों लेडी डफरिन अस्पताल में सर्जन थीं। फिरोज ने इलाहाबाद के इविंग क्रिश्चियन कॉलेज में दाखिला लिया। महज 18 साल की उम्र में फिरोज गांधी के जीवन में दो अहम पड़ाव आए। पहला, स्वतंत्रता संग्राम से उनका जुड़ाव और दूसरा, नेहरू परिवार से उनकी निकटता।
जिस समय फिरोज गांधी इविंग क्रिश्चियन कॉलेज में पढ़ रहे थे, उस समय पंडित जवाहरलाल नेहरू की पत्नी कमला नेहरू कॉलेज के बाहर सत्याग्रह का नेतृत्व कर रही थीं। अचानक वह बेहोश होकर गिर पड़ीं। युवा फिरोज तुरंत उनकी मदद के लिए आगे आए। यहीं से उनका ‘आनंद भवन’ में आना-जाना बढ़ गया, जो उन दिनों स्वतंत्रता सेनानियों का केंद्र था। यही वह समय था जब फिरोज ने अपने उपनाम में ‘घांडी’ की जगह ‘गांधी’ लगाना शुरू किया, जो एक तरह से महात्मा गांधी के सम्मान से जुड़ा था।
जब पहली बार फिरोज गांधी ने इंदिरा गांधी को प्रपोज किया, तब इंदिरा महज 16 साल की थीं और फिरोज उनसे उम्र में 5 साल बड़े थे। कमला नेहरू ने दोनों के बीच उम्र की बात करते हुए इस रिश्ते का विरोध किया और कहा कि इंदिरा बहुत छोटी थीं।
मशहूर पत्रकार सागरिका घोष अपनी किताब ‘इंदिरा: इंडियाज मोस्ट पावरफुल प्राइम मिनिस्टर’ में लिखती हैं कि अगले 5 सालों में टीबी की वजह से कमला नेहरू की हालत खराब होती गई, लेकिन फिरोज ने उनका साथ नहीं छोड़ा। यहां तक कि इलाज के लिए वे उनके साथ जर्मनी भी गए।
8 सितंबर, साल 1960 को फिरोज गांधी की मृत्यु दिल का दौरा पड़ने से हो गई थी। उनके अंतिम संस्कार में गीता, रामायण, कुरान और बाइबिल के अंश पढ़े गए। एक पारसी पुजारी ने भी उनके लिए प्रार्थना की। फिरोज का अंतिम संस्कार उनकी इच्छा के अनुसार हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार हुआ। राजीव गांधी द्वारा उनका अंतिम संस्कार किया। उनकी अस्थियों को संगम में विसर्जित किया गया, लेकिन कुछ हिस्सों को दफनाया गया। बर्टिल फॉक अपनी किताब में लिखते हैं कि जिस जगह फिरोज गांधी की अस्थियां दफनाई गई थीं, वहां एक कब्र भी बनाई गई थी। यह कब्र आज भी इलाहाबाद में मौजूद है।
इंदिरा गांधी से कैसे शुरू हुई प्रेम कहानी?
फिरोज और इंदिरा की प्रेम कहानी काफी मशहूर रही है। दरअसल, इंदिरा की मां कमला नेहरू एक आंदोलन के दौरान एक कॉलेज के सामने प्रदर्शन करते हुए बेहोश हो गई थीं और फिरोज गांधी ने उनका खूब ख्याल रखा था। इस बीच फिरोज उनके घर जाने लगे ताकि वह कमला का हालचाल पूछ सकें। यहीं से फिरोज और इंदिरा करीब आए।
साल 1933 की बात है, जब 21 साल के फिरोज ने 16 साल की इंदिरा को शादी के लिए प्रपोज किया। हालांकि, इंदिरा ने इस प्रस्ताव को साफ मना कर दिया। वक्त बीतता गया और फिरोज राजनीति में एक्टिव हो गए। जिसके बाद एक समय ऐसा आया जब इंदिरा और फिरोज फिर से करीब आए और दोनों ने शादी करने का फैसला किया।
हालांकि, इंदिरा के पिता पंडित जवाहरलाल नेहरू इस शादी के खिलाफ थे क्योंकि दोनों का धर्म अलग-अलग था और इससे उनकी राजनीति प्रभावित हो सकती थी। ऐसे में महात्मा गांधी ने नेहरू को समझाया और फिरोज को उपाधि के तौर पर अपना ‘गांधी’ उपनाम दिया। इसके बाद फिरोज और इंदिरा ने हिंदू रीति-रिवाज से शादी कर ली।
जीवन के आखिरी पड़ाव पर फिरोज अकेले थे
अपनी ही सरकार के प्रति आलोचनात्मक रवैये के कारण फिरोज के अपने ससुर पंडित जवाहरलाल नेहरू से रिश्ते बहुत मधुर नहीं थे। इसका असर इंदिरा से उनके रिश्ते पर भी पड़ा और एक समय ऐसा आया जब फिरोज और इंदिरा गांधी अलग-अलग रहने लगे। फिरोज जब अपने जीवन के आखिरी पड़ाव पर थे तो वे बहुत अकेले हो गए थे। उन्हें पहला दिल का दौरा साल 1958 में और दूसरा दिल का दौरा साल 1960 में पड़ा। 47 साल की उम्र में फिरोज इस दुनिया को अलविदा कह गए।