हिंदी कहानी / हिंदी कहानियाँ (Hindi Stories In Hindi / Hindi Story In Hindi)

Hindi Kahani In Hindi – वे कहानियाँ हमें जीवन में कुछ नया करने की सकारात्मक ऊर्जा देती थीं और हमारा मन जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा से भर जाता था। कहानियाँ एक ऐसा माध्यम हैं, जिसके माध्यम से बच्चों को अच्छे संस्कार, अनुशासन, अच्छे इंसान आदि बनने की प्रेरणा मिलती है। कहानियाँ बच्चों को सही और गलत की पहचान करना सिखाती हैं और उन्हें जीवन में सही रास्ता चुनने में मदद करती हैं। तो हिंदी में कहानियाँ कुछ इस प्रकार है (Hindi Stories In Hindi / Hindi Story In Hindi) –

हिंदी कहानी / हिंदी कहानियाँ (Hindi Kahani In Hindi / Hindi Kahaniyan In Hindi)

कहानी 01) ईमानदार लकड़हारे की कहानी

एक बार की बात है, एक गांव में रामू नाम का एक गरीब लकड़हारा रहता था। रामू का घर जंगल के पास था। उसके पास एक लोहे की कुल्हाड़ी थी, जिससे वह जंगल में जाकर लकड़ियाँ काटता था और शाम को कटी हुई लकडियों को शहर में बेचा करता था।

लकड़ियाँ काटकर जो भी पैसे मिलते थे, उनसे वह अपना घर चलाता था। जंगल में एक दिन वह नदी के पास लकड़ियाँ काट रहा था। लकड़ियाँ काटते काटते उसकी कुल्हाड़ी नदी में जा गिरी।

यह देखकर रामू जोर-जोर से रोने लगा। रामू को रोता देख नदी की देवी वहाँ प्रकट हुईं, और उन्होंने रामू से पूछा, “तुम क्यों रो रहे हो?”

रामू ने नदी की देवी को बताया कि “मेरी कुल्हाड़ी (Kulhadi) नदी में गिरी गयी है और मेरे पास कोई दूसरी कुल्हाड़ी भी नहीं है। अब मैं लकड़िया कैसे काटूँगा, और अपना घर कैसे चलाँऊगा?”

नदी की देवी ने कहा कि “चिंता मत करो। मैं अभी तुम्हारी कुल्हाड़ी ढूँढ़ कर लाती हूँ।”

देवी वापस पानी में जाती हैं और एक सोने की कुल्हाड़ी ले आती हैं। वह रामू से पूछती है, “क्या यह तुम्हारी कुल्हाड़ी है?”

रामू ने कहा नहीं, यह मेरी रामू नहीं है।

देवी वापस पानी में जाती है और इस बार एक चांदी की कुल्हाड़ी लाती है। देवी कहती है, “क्या यह तुम्हारी कुल्हाड़ी है?”

रामू फिर से इसे लेने से मना कर देता है और कहता है कि यह मेरी नहीं है। मेरी कुल्हाड़ी लोहे की बनी है।

देवी वापस पानी में जाती है और इस बार एक लोहे की कुल्हाड़ी लाती है और पूछती है, “क्या यह तुम्हारी है?”

इस बार रामू ने हाँ में सिर हिलाया। देवी रामू की ईमानदारी से बहुत खुश हुई है। देवी रामु को तीनों कुल्हाड़ी देते हुए कहती है, “तुम बहुत ईमानदार हो और मैं तुम्हारी ईमानदारी से खुश हूँ, इसलिए मैं तुम्हें लोहे की कुल्हाड़ी के साथ यह सोने और चांदी की कुल्हाड़ी देती हूँ।”

रामू तीनों कुल्हाड़ी ले लेता है और बहुत खुश होता है। रामू देवी को धन्यवाद देता है, और अपने घर लौट आता है।

सीख – अगर हम ईमानदार हैं, तो हमें कभी नुकसान नहीं उठाना पड़ता है।

कहानी 02) अपनी तुलना किसी और से न करें

एक समय की बात है, एक जंगल में एक कौआ रहता था, जो बहुत खुश था क्योंकि उसकी इच्छाएँ ज़्यादा नहीं थीं। वह अपने जीवन से संतुष्ट था, लेकिन एक बार उसने जंगल में एक हंस को देखा और उसे देखते ही सोचने लगा कि यह प्राणी कितना सुंदर है, मैंने ऐसा प्राणी पहले कभी नहीं देखा! इतना साफ़ और सफ़ेद। यह इस जंगल में दूसरों से कहीं अधिक सुंदर और सफ़ेद है, इसलिए यह प्राणी बहुत खुश होगा।

कौआ हंस के पास गया और उससे पूछा, कौआ भाई तुम इतने सुंदर हो, तो तुम बहुत खुश होगे?

हंस ने हाँ में जवाब दिया, हंस ने कहा हाँ मैं पहले बहुत खुश रहता था, जब तक कि मैंने तोते को नहीं देखा था। तोते को देखने के बाद लगता है कि तोता पृथ्वी पर सबसे सुंदर प्राणी है। हम दोनों के शरीर का रंग एक जैसा है पर तोते के शरीर पर दो रंग हैं, उसकी गर्दन के चारों ओर लाल घेरा था, जो चमकीले हरे रंग का था, वाकई वह बहुत सुंदर था।

अब कौए (Crow) ने सोचा कि हंस ने तो तोते (Parrot) को सबसे सुंदर प्राणी बताया है, तो मुझे इसे (तोते) देखना होगा।

कौआ (Kauwa) तोते के पास जा पंहुचा और पूछा, कौआ भाई, दो रंग पाकर तुम बहुत खुश होगे?

इस पर तोते ने कहा, हां मैं तब तक खुश था जब तक मैंने मोर को नहीं देखा। मेरे पास तो दो ही रंग हैं लेकिन मोर के शरीर पर तो कई रंग होते हैं।

अब कौए ने सोचा कि मैं पता लगाऊंगा कि सबसे ज्यादा खुश कौन है? इसलिए अब मुझे मोर से मिलना होगा। कौए ने जंगल में मोर को ढूंढा लेकिन उसे पूरे जंगल में एक भी मोर नहीं मिला और मोर को ढूंढते-ढूंढते वह चिड़ियाघर पहुंच गया तो उसने देखा कि मोर को देखने के लिए बहुत सारे लोग आए हुए हैं और उसके आसपास काफी भीड़ है।

सभी लोगों के वंहा से चले जाने के बाद कौए ने मोर से पूछा, मोर भाई तुम दुनिया के सबसे सुंदर प्राणी हो, साथ ही रंग-बिरंगे भी हो, लोग तुम्हारे साथ फोटो खिंचवा रहे थे। तुम्हें बहुत अच्छा लग रहा होगा और तुम दुनिया के सबसे खुश प्राणी होंगे?

इस पर मोर उदास होकर बोला, भाई भले ही मैं सुंदर हूं, इससे क्या फर्क पड़ता है! लोग मुझे इस चिड़ियाघर में बंदी बनाकर रखते हैं, लेकिन कोई भी आपको चिड़ियाघर में बंदी बनाकर नहीं रखता और आप जहां चाहें घूम सकते हैं। इसलिए, आपको दुनिया में सबसे संतुष्ट और खुश प्राणी होना चाहिए, क्योंकि आप स्वतंत्र हैं। कौवा हैरान था क्योंकि किसी और ने उसे उसके जीवन का महत्व बताया था।

सीख – हम अपनी खुशियों और गुणों की तुलना दूसरों से करते हैं, ऐसे लोगों से जिनका रहने का माहौल हमसे बिल्कुल अलग है। हमारे जीवन में कई चीजें ऐसी होती हैं, जो सिर्फ हमारे पास होती हैं, लेकिन हम उनका महत्व समझकर खुश नहीं होते। लेकिन दूसरों की छोटी-छोटी खुशियाँ भी हमें बड़ी लगती हैं, जबकि हम अपनी बड़ी खुशियों को नज़रअंदाज़ कर देते हैं।

कहानी 03) अमीर आदमी और चोर नौकर

एक बार की बात है, एक गांव में एक अमीर आदमी रहता था। उसके पास 10 नौकर थे। उसकी दुकान अच्छी चल रही थी, लेकिन उसकी एक ही समस्या थी, कि उसकी दुकान में लगभग हर दूसरे दिन चोरी हो जाती थी।

परेशान होकर उसने एक दिन सभी नौकरों को बुलाया और कहा कि उसकी दुकान में चोरी हो रही है। अगर तुममें से किसी ने ऐसा किया है, तो अभी सच बताओ।

लेकिन कोई कुछ नहीं बोला, फिर अमीर आदमी ने सभी को अपना काम शुरू करने का आदेश दिया। किसी के द्वारा सच न बताने पर अमीर आदमी अपने घर एक रिश्तेदार को बुलाता है, जो बहुत समझदार था।

अमीर आदमी उसे दुकान में हो रही चोरी के बारे में सब कुछ बता देता है। अमीर आदमी उससे कोई उपाय बताने का अनुरोध करता है।

रिश्तेदार अमीर आदमी से कहता है कि चिंता मत करो। मैं कल ही तुम्हारी समस्या का समाधान कर दूंगा।

अगले दिन अमीर आदमी रिश्तेदार को अपनी दुकान पर ले जाता है। अब रिश्तेदार सभी नौकरों को बुलाता है और कहता है कि अगर किसी ने चोरी की है, तो मुझे अभी बताओ। लेकिन इस बार भी कोई सामने नहीं आता।

रिश्तेदार उन सभी को एक छड़ी देता है और कहता है कि यह एक जादुई छड़ी है। इसे आप एक रात अपने पास रखिए। सुबह तक चोरी करने वाले की छड़ी 2 इंच लंबी हो जाएगी।

सब लोग छड़ी लेकर चले जाते हैं। उनमें किशन नाम का एक नौकर भी था, जिसने चोरी की थी। उसने अपनी छड़ी 2 इंच छोटी कर ली ताकि किसी को पता न चले कि चोरी की वजह से उसकी छड़ी 2 इंच लंबी हो गई है।

अगली सुबह सब लोग दुकान में वापस इकट्ठे हुए।

रिश्तेदार ने सबकी छड़ी चेक की। सबकी छड़ी वैसी ही थी, जैसी उसने दी थी। लेकिन किशन की छड़ी छोटी थी, इसलिए रिश्तेदार को पता चल गया कि चोर कौन है? उसने सबको सच बताया कि यह कोई जादुई छड़ी नहीं थी। किशन ने चोरी की थी, इसलिए उसने अपनी छड़ी पहले ही छोटी कर ली थी ताकि छड़ी और बड़ी न हो जाए।

अब सेठ किशन पर गुस्सा हो जाता है और उसे दुकान से बाहर निकाल देता है।

सीख – हमेशा अपनी बुद्धि का इस्तेमाल करना चाहिए, और कभी भी चोरी नहीं करनी चाहिए।

कहानी 04) टिड्डा गया मर, गिलहरी गयी बच

एक बार की बात है, गर्मी के मौसम में एक टिड्डा खेत में खुशी से उछल-कूद कर रहा था। तभी एक गिलहरी वहाँ से गुजरी, जो बड़ी मुश्किल से एक मकई का भुट्टा अपने घर ले जा रही थी।

तब टिड्डा बोला, “अरे गिलहरी, इतनी मेहनत करने के बजाय, तुम मेरे साथ आकर मौज-मस्ती क्यों नहीं करती?”

तब गिलहरी बोली, “मैं सर्दियों के लिए भोजन इकट्ठा कर रही हूँ, और मैं चाहती हूँ कि तुम भी ऐसा करो।”

टिड्डा बोला, “मुझे सर्दियों में क्या परेशानी होगी? हमारे पास पहले से ही पर्याप्त भोजन है। यह पूरा खेत भोजन से भरा पड़ा है। मुझे इस खेत से अपने पूरे जीवन के लिए भोजन मिल जाएगा, तो मुझे मेहनत करने की क्या ज़रूरत है? तुम भी इस खेत से मिलने वाले भोजन से आराम से अपना जीवन जी सकती हो।

फिर गिलहरी ने उसकी बातों पर ध्यान नहीं दिया और अपना काम जारी रखा, और फिर सर्दी आने से पहले किसानों से फसल काट ली। खेतों में बारिश हुई और जो कुछ बचा था, वह भी बर्बाद हो गया। इसलिए टिड्डा भूख से मर गया, जबकि गिलहरी अपने बचाए हुए अनाज से आराम से सर्दी काटती रही थी।

सीख – कड़ी मेहनत और तैयारी हमेशा रंग लाती है। जब हम कड़ी मेहनत और योजना बनाकर समय पर तैयारी करते हैं, तो हम कठिनाइयों का सामना करने की क्षमता प्राप्त होती हैं। जैसे गिलहरी ने भोजन जमा करने की तैयारी की और सर्दी से बच गई। टिड्डा, जिसने मेहनत नहीं की और तैयारी नहीं की, उसे सर्दी ने मरने पर मजबूर कर दिया।

कहानी 05) आम का पेड़ और माली

बहुत साल पहले की बात है, एक राजा था। वह राजा हमेशा जरूरतमंदों की मदद करता था। इस कारण उसकी प्रजा भी उससे बहुत प्यार करती थी। राजा बहुत नेक दिल का था, उसकी नेकी की कहानी दूर-दूर तक मशहूर थी।

एक बार वह राजा अपने मंत्री के साथ घूमने गया। रास्ते में उन्हें एक बहुत सुंदर बगीचा दिखाई दिया। राजा ने देखा कि एक बूढ़ा माली उस बगीचे में आम का पेड़ लगा रहा था। राजा उसके पास गया और उससे पूछा कि क्या यह बगीचा तुम्हारा है?

माली ने कहा, हां यह बगीचा मेरा है। यह बगीचा मेरे दादा, परदादा ने लगाया था, और मैं इस बगीचे की देखभाल करता हूं। तब राजा ने कहा, अच्छा, तो तुम ये आम के पेड़ क्यों लगा रहे हो? क्या तुम सोच रहे हो कि तुम्हें इस आम के पेड़ के फल खाने को मिलेंगे, तब तक तो तुम जीवित नहीं रहोगे।

राजा की बात सुनकर माली ने कहा। अब तक मैंने दूसरों के लगाए पेड़ों के बहुत से फल खाए हैं। इसलिए अब मुझे दूसरों के लिए पेड़ लगाने की जरूरत है, ताकि मेरे बेटे, मेरे पोते, मेरे द्वारा लगाए गए पेड़ों के फल खा सकें। माली की बात सुनकर राजा बहुत खुश हुआ और उसे इनाम में एक सोने का सिक्का दिया।

सीख – इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें अपनी आने वाली पीढ़ियों के बारे में भी सोचना चाहिए।

और पढ़े

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Related Articles