देवनागरी लिपि की विशेषताएं – देवनागरी लिपि भारत की सबसे लोकप्रिय लिपियों में से एक है। इसमें हिंदी, संस्कृत, मराठी, पाली, राजस्थानी, नेपाली, गुजराती, भोजपुरी आदि कई भाषाएँ लिखी जाती हैं। देवनागरी लिपि ब्राह्मी लिपि से विकसित हुई है। गुजरात के राजा जयभट्ट के शिलालेख में देवनागरी लिपि का पहला उपयोग मिलता है।
देवनागरी लिपि भी अधिकांश लिपियों के जैसे ही बाएं से दाएं तरफ लिखी जाती है। प्रत्येक शब्द के ऊपर एक क्षैतिज रेखा होती है जिसे शिरोरेखा भी कहा जाता हैं। यह एक शब्दांश लिपि है। देवनागरी लिपि के उदाहरण – संस्कृत, हिंदी, नेपाली और मराठी।
देवनागरी लिपि को लोक नागरी और हिंदी लिपि के नाम से भी जाना जाता है। नामकरण को लेकर विद्वानों में मतभेद है। अधिकांश विद्वानों का मानना है कि देवनागरी लिपि सबसे पहले गुजरात में प्रचलित हुई थी। इसलिए वहां के नागर ब्राह्मणों के नाम पर इसे नागरी कहा गया। तो आइये जानते है देवनागरी लिपि की विशेषताएँ –
देवनागरी लिपि की विशेषताएं (देवनागरी लिपि की विशेषता हिंदी में) – Devnagri Lipi Ki Visheshta In Hindi
1) ब्राह्मी लिपि से देवनागरी लिपि का विकास मिलता है। ब्राह्मी लिपि में 64 लिपि चिह्न थे, जबकि देवनागरी में सिर्फ 52 लिपि चिह्न मिलते हैं। लेकिन फिर भी लिपि चिह्नों की यह संख्या विश्व की अन्य भाषाओं से अधिक है। अंग्रेजी लिपि में 26 चिह्न हैं, जर्मन लिपि में 29 चिह्न हैं। यही कारण है कि देवनागरी लिपि में प्रत्येक ध्वनि लिखी जा सकती है।
2) देवनागरी लिपि में स्वर और व्यंजन क्रम से लिखे जाते हैं। स्वर पहले आते हैं, फिर व्यंजन। संयुक्त व्यंजन क्ष, त्र, ज्ञ, श्र अंत में आते हैं।
3) देवनागरी में अक्षरों का वर्गीकरण पूर्णतः वैज्ञानिक ढंग से किया गया है। स्वर पहले आते हैं, फिर व्यंजन और संयुक्त व्यंजन अंत में। उच्चारण स्थान के आधार पर भी अक्षरों का आदर्श वर्गीकरण किया गया है।
4) देवनागरी एक वैज्ञानिक लिपि है। हिंदी में जो कुछ बोला जाता है, वही लिखा जाता है या यूं कहें कि जो कुछ लिखा जाता है, वही बोला जाता है। देवनागरी लिपि के चिह्न हिंदी की ध्वनियों के अनुरूप हैं। यही इस लिपि की वैज्ञानिक प्रकृति है।
5) देवनागरी लिपि में लगभग सभी मूल ध्वनियों के लिए अलग-अलग ध्वनि चिह्न हैं। इस लिपि का ध्वनि तत्व बहुत वैज्ञानिक है, जबकि अंग्रेजी जैसी भाषाओं की लिपियों में यह वैज्ञानिकता कम है, उदाहरण के लिए प्रकृति को ‘नेचर’ बोला जाता है और ‘Nature’ लिखा जाता है। हिंदी में ऐसा नहीं है, अगर ‘त्रिदेव’ बोला जाता है, तो उसे ‘त्रिदेव’ लिखा जाता है और उसे ‘त्रिदेव’ पढ़ा जाता है। यही इस भाषा की लिपि की वैज्ञानिक प्रकृति है।
6) देवनागरी लिपि वर्णात्मक लिपि है, क्योंकि इसमें स्वरों और व्यंजनों के मेल से नए अक्षर बनते हैं।
7) देवनागरी लिपि के वर्गों की संरचना सरल है, इसे सीखने में कोई कठिनाई नहीं होती। इसे आसानी से सीखा जा सकता है।
8) देवनागरी लिपि की एक और महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि यह विदेशी ध्वनियों को व्यक्त करने में सक्षम है। कुछ विदेशी ध्वनियों को व्यक्त करने के लिए लिपि चिह्नों का भी सहारा लिया गया है; जैसे – ऑ, क आदि।
9) देवनागरी लिपि हमारे देश का गौरव है। हमारे देश का अधिकांश साहित्य इसी लिपि में सुरक्षित है। इस लिपि का देश में प्रचलित लगभग सभी लिपियों से घनिष्ठ सम्बन्ध है।
10) हिन्दी भाषा के अतिरिक्त यह संस्कृत, मराठी और नेपाली भाषाओं की भी लिपि है। राष्ट्रीय एकता की दृष्टि से भी यह लिपि गौरवपूर्ण लिपि मानी जाती है।
11) नागरी लिपि गत्यात्मक और व्यावहारिक है। इसमें आवश्यकतानुसार कुछ लिपि चिह्नों का समावेश किया गया है। उदाहरण के लिए, जीभ की मूल ध्वनियाँ जैसे – क़, ख़, ग, ज़, फ़ आदि फ़ारसी से ली गई हैं, जिसके कारण यह लिपि वैज्ञानिक हो गई है।
12) नागरी लिपि में प्रत्येक ध्वनि के लिए एक लिपि चिह्न का प्रावधान है, लेकिन अन्य लिपियों में यह व्यवस्था नहीं है। उदाहरण के लिए, रोमन लिपि में ‘क’ की ध्वनि के लिए चार लिपि चिह्न हैं, K, C, Q, CH। इसी तरह फ़ारसी में भी एक ध्वनि के लिए कई लिपि चिह्न हैं।
13) नागरी लिपि में एक चिह्न केवल एक ध्वनि को दर्शाता है। उदाहरण के लिए, नागरी लिपि में ‘क’ केवल ‘क’ की ध्वनि के लिए है, लेकिन रोमन जैसी कई लिपियों में ऐसा नहीं है। उदाहरण के लिए, रोमन लिपि में ‘स’ चिह्न का उपयोग ‘स’, ‘च’, ‘का’ आदि ध्वनियों के लिए किया जाता है।
14) देवनागरी लिपि में प्रत्येक अक्षर का उच्चारण होता है, यानी जो भी अक्षर लिखा जाता है, उसका उच्चारण अवश्य होता है, लेकिन रोमन लिपि में कुछ अक्षर लिखे तो होते हैं, लेकिन उनका उच्चारण नहीं होता। उदाहरण – Knife – नाइफ (K का उच्चारण नहीं किया जाता)
15) देवनागरी लिपि में अक्षरों का उच्चारण निश्चित है लेकिन रोमन लिपि में कई स्थानों पर अक्षरों का उच्चारण बदल जाता है। उदाहरण के लिए – Put (पुट), But (बट)
16) देवनागरी लिपि की एक विशेषता यह है कि इसमें अक्षरों का निर्माण उच्चारण के स्थान को ध्यान में रखते हुए वैज्ञानिक रूप से किया गया है।
17) नागरी लिपि में अक्षरों का परिवर्तन स्वन-प्रक्रिया के नियमों के आधार पर होता है।
18) देवनागरी लिपि में अनुस्वार और चन्द्रबिन्दु जैसे सूक्ष्म लिपि चिह्नों का प्रावधान है। इन लिपि चिह्नों के माध्यम से हंस और हँस, रंग और रंगना जैसे उच्चारण में सूक्ष्म अंतर भी दर्शाया जा सकता है।