दीपावली कितने दिन बाद है – दीपावली या दिवाली, भारत के साथ साथ दुनिया के कई हिस्सों स्तिथ हिंदुओं के बीच सबसे अधिक मनाए जाने वाला त्योहारो है। दीपावली या दिवाली का त्यौहार पांच दिनों तक चलता है, ये पांच दिन धनतेरस, नरक चतुर्दशी, मुख्य दिवाली, गोवर्धन पूजा और भाई दूज है।
दीपावली या दिवाली को रोशनी, समृद्धि और खुशहाली का त्योहार माना जाता है। बड़े ही हर्षोउल्लास के साथ मनाई जाने वाला यह त्यौहार कार्तिक महीने की सबसे अंधेरी रात को आती है, जिसे कार्तिक अमावस्या के नाम से जाना जाता है। तो आइये जानते है दीपावली कितने दिन बाद है –
दीपावली कितने दिन बाद है / दिवाली कितने दिन बाद है
हिंदू कैलेंडर के अनुसार दिवाली या दीपावली का त्यौहार हर साल कार्तिक माह के पंद्रहवें दिन अमावस्या तिथि को मनाया जाता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार दिवाली या दीपावली का त्यौहार नवंबर – दिसंबर महीने में आता है, और इस साल यानी साल 2024 में दीपावली शुक्रवार, 1 नवंबर को मनाई जायेगी। तो इससे अब पता लगा सकते है की दीपावली के आने में कितने दिन बाकी है?
दिवाली के पांच दिन –
दिवाली का पहला दिन – धनतेरस (2024, 29 अक्टूबर)
दिवाली का दूसरा दिन – नरक चतुर्दशी (2024, 31 अक्टूबर)
दिवाली का तीसरा दिन – दिवाली, लक्ष्मी पूजा (2024, 1 नवंबर)
दिवाली का चौथा दिन – गोवर्धन पूजा (2024, 2 नवंबर)
दिवाली का पांचवा दिन – भाई दूज (2024, 3 नवंबर)
दीपावली क्यों मनाते है (Deepawali Kyo Manate Hai)
दिवाली क्यों मनाते है, इसको लेकर कई कहानियां प्रचलित हैं। सबसे प्रसिद्ध मान्यता है कि भगवान राम से जुडी है, जिसके अनुसार भगवान राम के वनवास से लौटने पर अयोध्या में उनका भव्य स्वागत खुशियों के दीप जलाकर किया गया, और तभी से दिवाली का पर्व मनाया जाने लगा। लेकिन इसके अलावे और भी कई कहानियां दिवाली से सम्बंधित हैं, जिनके बारे में कम लोग जानते हैं। तो हम आपको बताते है –
1) श्रीराम जी के वनवास से लौटने की खुशी में दीपावली
इस कहानी के बारे में तो लगभग सभी को पता है, मंथरा की बातों में आई कैकई ने राम को वनवास भेजने के लिए दशरथ को वचनबद्ध कर लिया था। जिसके बाद श्रीराम को वचन की पूर्णता के लिए वनवास जाना पड़ा। वनवास के दौरान यानि वनवास में श्री राम ने 14 वर्षों बिताये थे, और उसके बाद वे पुनः अयोध्या लौटे तो नगरवासियों ने उनका भव्य स्वागत कर दीप प्रवज्जलित किये, तभी से दीपावली मनाई जाती है।
2) पांडवों का अपने राज्य मिलने की खुशी में दीपावली
महाभारत काल में शतरंज के खेल में शकुनी मामा की सहायता से पांडवों को छलपूर्वक हराकर उनका सबकुछ छीन लिया जाता है, और राज्य छोड़कर 13 वर्ष के लिए वनवास भोगने के लिए भेज दिया जाता है। वनवास का समय कट जाने के बाद 5 पांडव (युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल और सहदेव) 13 वर्ष बाद पुनः अपने राज्य लोट आते है, उनके लौटने की खुशी में राज्य के लोगों द्वारा दीप प्रज्जवलित लिए जाते है। इसलिए ऐसा माना जाता है कि तभी से दीपावली की शुरुवात हुई।
3) राजा विक्रमादित्य का राज्याभिषेक की खुशी में दीपावली
प्राचीन भारत के महान सम्राटो में से एक – राजा विक्रमादित्य, एक आदर्श राजा थे। राजा विक्रमादित्य को उनकी उदारता, साहस के लिए जाना है। यह भी कहा जाता है की उनका राज्याभिषेक कार्तिक अमावस्या को ही हुआ था, जिसके चलते राजा विक्रमादित्य की याद में तभी से लेकर अब तक दीपावली का त्योहार मनाया जाता है।
4) मां लक्ष्मी के अवतार की खुशी में दीपावली
मां लक्ष्मी का अवतार दीपावली का त्यौहार से सम्बन्ध रखती है, जैसा की अब आप जानते ही है कार्तिक महीने की अमावस्या को दिवाली मनाई जाती है, और इसी दिन समुद्र मंथन के दौरान मां लक्ष्मी जी ने अवतार भी लिया था, जो धन और समृद्धि की देवी मानी जाती है। मां लक्ष्मी जी के अवतरण की खुसी में हर घर में दीप जलाये जाते है, साथ ही माता लक्ष्मी जी की पूजा भी की जाती हैं।
5) नरकासुर वध की खुशी में दीपावली
नरकासुर वध भी दीपावली का त्यौहार मनाने के पीछे एक बड़ी कहानी के रूप में सामने आती है, जिसके अंतर्गत कथा यह है की इसी दिन ही नरकासुर राक्षस का प्रभु श्रीकृष्ण द्वारा किया गया था। नरकासुर नामक दैत्य प्रागज्योतिषपुर का राजा था, जो अपनी क्रूरता के लिए जाना जाता था। इस क्रूर राक्षस राजा का श्रीकृष्ण की मदद से सत्यभामा हाथो हुआ, और जिस दिन उसका वध हुआ, यह वो ही दिन यानी कार्तिक मास की अमावस्या थी, इसलिए यह भी दीपावली मनाने के कारणों में शामिल है।
6) छठवें सिख गुरु की आजादी की खुशी में दीपावली
छठवें सिख गुरु की आजादी की खुशी में दीपावली सिख समुदाय के लोग द्वारा यह पर्व मनाया जाता है। यह पर्व छठवें गुरु श्री हरगोविंदजी की याद में मनाते हैं, जिन्हे सम्राट जहांगीर की कैद में ग्वालियर जेल डाला थे। बाद में मुक्त होने पर लोगो ने खुशियां मनाई, और तभी से यह दिन इस त्यौहार के रूप चला आ रहा है।