चंद्रगुप्त मौर्य की कितनी पत्नी थी – Chandragupta Maurya Wife Name In Hindi

चंद्रगुप्त मौर्य की कितनी पत्नियां थी – सम्राट चन्द्रगुप्त को चन्द्रगुप्त महान भी कहा जाता है। सिकंदर के शासनकाल में चंद्रगुप्त ने सिकंदर के सेनापति सेल्यूकस को दो बार बंधक बना कर मुक्त किया था। चाणक्य सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य के गुरु हुआ करते थे। अंत में चन्द्रगुप्त ने राजगद्दी अपने पुत्र बिन्दुसार को सौंप दी।

लेकिन क्या आप जानते है चंद्रगुप्त मौर्य की कितनी पत्नी थी? अगर नहीं तो आज के इस लेख को अंत तक अवश्य पढ़े। आज के इस लेख में जानेगे की चंद्रगुप्त मौर्य कौन है, और उनकी कितनी पत्नियां थी –

चंद्रगुप्त मौर्य की कितनी पत्नियां थी (Chandragupta Maurya Wife In Hindi)

चंद्रगुप्त मौर्य की दो पत्नियां थी – पहली पत्नी का नाम दुर्धरा था, और दूसरी पत्नी का नाम कॉर्नेलिया हेलेना (हेलन) था। लेकिन ऐसा माना जाता है कि चंद्रगुप्त मौर्य की एक तीसरी पत्नी भी थी, जिसका नाम चंद्र नंदिनी बताया जाता है।

चंद्रगुप्त ने तीन विवाह किये थे, उनकी पहली पत्नी से बिन्दुसार का जन्म हुआ था। दूसरी पत्नी ग्रीक राजकुमारी कॉर्नेलिया हेलेना या हेलेन से जस्टिन नाम का एक बेटा हुआ था।

चंद्रगुप्त मौर्य के बारे में

जैन ग्रंथो और बौद्ध ग्रंथों से चंद्रगुप्त के प्रारंभिक जीवन की जानकारी प्राप्त होती है। विशाखादत्त के ‘मुद्राराक्षस’ नामक नाटक में चन्द्रगुप्त को नन्दपुत्र की बजाए (के स्थान) पर मौर्यपुत्र कहा गया है। यह भी कहते है कि चंद्रगुप्त क एक भील महिला के बेटे थे, जिसका नाम मुरा था। मुरा धनानंद के राज्य में एक नर्तकी हुआ करती थी, जिसे शाही आदेश मिलने के बाद राज्य छोड़ना पड़ा। राज्य छोड़ने के बाद वह जंगल में रहने लगी और किसी तरह अपने दिन गुजार रही थी।

कहा जाता है कि मौर्य वंश में चन्द्रगुप्त मौर्य का जन्म हुआ था, उनका जन्म 340 ई. में हुआ था, और उनकी माता का नाम मुरा था। कई लोगो का यह मानना था कि मयूर टोमेर्स की मोरिया जनजाति से चन्द्रगुप्त का सम्बन्ध था। ऐसा कहा जाता है कि वह जन्म से गरीब थे, उनके पिता नंद सेना में एक अधिकारी थे, जिन्हें किसी कारणवश नंदों ने मार डाला था। उनके जन्म से पहले ही उनके पिता की मृत्यु हो गई थी। जब चंद्रगुप्त 10 वर्ष की अवस्था में पहुंचे तो उनकी माता की भी मृत्यु हो गई, और तभी से उनका पालन-पोषण आचार्य चाणक्य द्वारा किया गया।

चाणक्य – पोरस की मदद से चन्द्रगुप्त मगध की गद्दी पर बैठे और पंजाब को यूनानियों के शासन से मुक्त कराया। चंद्रगुप्त मौर्य ने 25 वर्ष की अल्पायु में नंद वंश के शासक धनानंद को हराकर मगध की गद्दी संभाली।

चन्द्रगुप्त का प्रशासन व्यवस्थित हुआ करता था, जिसका परिचय कौटिल्य के ‘अर्थशास्त्र’ और यूनानी राजदूत मेगस्थनीज के वर्णन से प्राप्त होता है। चन्द्रगुप्त मौर्य के काल में भारत एक शक्तिशाली राष्ट्र हुआ करता था। चन्द्रगुप्त मौर्य का जिला अठारह महाजनपदों में विभाजित था, जो इस देश का सबसे शक्तिशाली था। चंद्रगुप्त के शासन से पहले मगध पर क्रूर धनानंद का शासन हुआ करता था। धनानंद बिम्बिसार और अजातशत्रु का वंशज था।

:चाणक्य के शिष्य चंद्रगुप्त मौर्य (322 से 298 ईसा पूर्व) के धनानंद के साथ हुए युद्ध ने देश का इतिहास बदल दिया। महाजनपद – मगध प्राचीन भारत के 18 जिलों में से एक था। धनानंद मगध का राजा था। इस युद्ध के बारे में हर कोई जानता है। चंद्रगुप्त ने उनके शासन को उखाड़ फेंका और मौर्य वंश की स्थापना की।

चन्द्रगुप्त मौर्य का झुकाव जैन धर्म की ओर अधिक हो गया। अपने अंतिम क्षणों में उन्होंने अपने पुत्र बिन्दुसार को राजगद्दी सौंप दी और जैनाचार्य भद्रबाहु से दीक्षा लेकर उनके साथ श्रवणबेलगोला (मैसूर के पास) चले गये, और उन्होंने 297 ईसा पूर्व में चंद्रगिरि पहाड़ी पर अपने प्राण त्याग दिए।

मौर्य साम्राज्य की स्थापना

मौर्य साम्राज्य की स्थापना का पूरा श्रेय चाणक्य को जाता है। चाणक्य ने चंद्रगुप्त मौर्य को उसका अधिकार दिलाया और नवदास के सिंहासन पर बैठाया। जब चाणक्य तक्षशिला में शिक्षक थे, तब सिकंदर भारत पर आक्रमण करने की तैयारी कर रहा था, तब तक्षशिला और गांधार के दोनों राजाओं ने सिकंदर के सामने आत्मसमर्पण कर दिया, चाणक्य ने देश के अलग-अलग राजाओं से मदद मांगी।

पंजाब के राजा पर्वतेश्वर ने सिकंदर को युद्ध के लिए ललकारा, लेकिन पंजाब के राजा को हार का सामना करना पड़ा, जिसके बाद चाणक्य ने नंद साम्राज्य के शासक धनानंद से सहायता मांगी, पर उन्होंने इससे इनकार कर दिया।

इस घटना के बाद, चाणक्य ने निर्णय लिया कि वह अपना एक नया साम्राज्य बनाएंगे जो ब्रिटिश हमलावरों से देश की रक्षा करेगा और साम्राज्य उनकी नीतियों के अनुसार चलेगा।जिसके लिए उन्होंने चन्द्रगुप्त मौर्य को चुना, चाणक्य को मौर्य साम्राज्य का प्रधान मंत्री कहा जाता था।

FAQs

चंद्रगुप्त मौर्य के कितने विवाह हुए थे?
चंद्रगुप्त मौर्य के दो विवाह हुए थे – पहली पत्नी का नाम दुर्धरा था, और दूसरी पत्नी का नाम कॉर्नेलिया हेलेना (हेलन) था।

चंद्रगुप्त मौर्य की मृत्यु कहाँ हुई थी?
चंद्रगुप्त मौर्य की मृत्यु 297 ईसा पूर्व में चंद्रगिरि पहाड़ी पर हुई थी।

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