Tulsidas Ke Diksha Guru Kaun The – तुलसीदास को महर्षि वाल्मीकि का अवतार माना जाता है। रामचरित्र मानस के कारण तुलसीदास को अपार लोकप्रियता मिली। तो आइये जानते है तुलसीदास के गुरु का नाम क्या है (Tulsidas Ke Guru Ka Naam Kya Hai Hindi Mein)
तुलसीदास के गुरु कौन थे / तुलसीदास के दीक्षा गुरु कौन थे – Tulsidas Ke Diksha Guru Kaun The
तुलसीदास के गुरु नरहरि बाबा / नरहरिदास थे। तुलसीदास के गुरु रामसिल में रहते थे। वे उस समय के प्रसिद्ध संत श्री अनंतानंद जी के प्रिय शिष्य थे।
तुलसीदास का बचपन में नाम रामबोला रखा गया था। बाद में उनके गुरु नरहरि दास ने उनका नाम तुलसीदास रखा, जो उनकी प्रतिभा को देखकर दिया गया था। यह नाम उन्होंने हिंदी साहित्य में काव्य खंड लिखते समय इस्तेमाल किया था।
15वीं शताब्दी में नरहरि दास बाबा न केवल शिक्षक थे, बल्कि भक्ति परंपरा में बृज भाषा के कवि भी थे। उन्हें संस्कृत और फारसी का भी अच्छा ज्ञान था। उनके गुरु ने कई काव्य खंड भी लिखे। लेकिन उनके गुरु द्वारा लिखे गए काव्य खंड को उतनी प्रसिद्धि नहीं मिली, जितनी तुलसीदास के काव्य खंडों को मिली।
तुलसीदास के गुरु नरहरि दास बाबा का जन्म उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले के पखरौली नामक स्थान पर हुआ था। उनके गुरु द्वारा कई तरह की पुस्तकें लिखी गईं, जिनमें से रुक्मणी मंगल सबसे लोकप्रिय थी।
तुलसीदास कौन थे – तुलसीदास के बारे में जानकारी
तुलसीदास हिंदी साहित्य का इतना लोकप्रिय और बड़ा नाम है, जन्म के समय तुलसीदास का नाम रामबोला रखा गया था। रामबोला बचपन से ही पढ़ने-लिखने में बहुत अच्छे थे। नरहरि दास बाबा उन्हें शिक्षा देने के लिए अयोध्या ले गए, वहां माघ महीने की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को उन्होंने उन्हें अपना शिष्य बनाया और एक अनुष्ठान किया।
इस अनुष्ठान में रामबोला ने गायत्री मंत्र का जाप करना शुरू किया, जिसे सुनकर लोग काफी हैरान हो गए। अयोध्या का हर शिक्षक उन्हें ज्ञान देना चाहता था, उनके साथ समय बिताना चाहता था। इसी प्रक्रिया में रामबोला का नाम बदलकर तुलसीदास हो गया।
उनके द्वारा लिखी गई रामचरित मानस को काफी लोकप्रियता मिली, जो उनका सबसे प्रिय गौरव ग्रंथ था। इस रचना के बाद तुलसीदास को महर्षि वाल्मीकि का अवतार माना जाने लगा। रामचरित मानस को भारत के लगभग सभी स्थानों पर बड़े आदर के साथ पढ़ा जाता है। इसके बाद विनय पत्रिका उनके द्वारा लिखी गई दूसरी सबसे लोकप्रिय रचना थी। तुलसीदास की राम चरित्र मानस दुनिया के सबसे लोकप्रिय काव्य खंडों की सूची में 46वें स्थान पर है।
तुलसीदास इस अवस्था में भगवान राम के प्रति इतने समर्पित थे कि उन्होंने अपना पूरा जीवन एक संन्यासी के रूप में बिताया। उन्होंने हिंदी साहित्य में अन्य रचनाएँ भी रचीं, जिससे उनकी लोकप्रियता पूरी दुनिया में फैल गई।
राम भक्त तुलसीदास का जन्म श्रावण महीने की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को हुआ था। इनका जन्म उत्तर प्रदेश राज्य के राजापुर में यमुना नदी के तट पर हुआ था, जो चित्रकूट के पास है।ऐसा माना जाता है कि बचपन में रोने की बजाय उन्होंने राम का नाम लिया, इसलिए उनका नाम रामबोला रखा गया। बाद में उनके गुरु नरहरि दास ने उनकी प्रतिभा को देखकर उन्हें पुरस्कार स्वरूप तुलसीदास नाम दिया।
तुलसीदास की मां उन्हें बचपन में ही छोड़कर चली गईं। तुलसीदास ने अपना जीवन एक अनाथ और गरीब बालक के रूप में बिताया। बचपन में वे भीख मांगकर गुजारा करते थे। लेकिन पढ़ने-लिखने में बहुत तेज और बुद्धिमान होने के कारण उन्होंने नरहरिदास का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया।
उन्होंने बहुत छोटी उम्र में ही विभिन्न प्रकार की रचनाएँ लिखना शुरू कर दिया था। बाद में उनके द्वारा लिखे गए रामचरित्र मानस के कारण वे पूरी दुनिया में देवता की तरह पूजे जाने लगे।
FAQs
तुलसीदास कौन थे?
तुलसीदास हिंदी साहित्य के महान लेखक थे, जिन्होंने अपनी रचना राम चरित्र मानस के कारण विश्व भर में ख्याति प्राप्त की।
तुलसीदास का जन्म और मृत्यु कब हुई?
तुलसीदास का जन्म चित्रकूट के पास 1511 ई. में हुआ था और उनकी मृत्यु 1623 में वाराणसी में हुई थी।
तुलसीदास के गुरु किसे माना जाता है?
रामसिल में रहने वाले नरहरि दास बाबा को तुलसीदास का गुरु माना जाता है।
तुलसीदास के दीक्षा गुरु का नाम क्या था?
तुलसीदास के दीक्षा गुरु का नाम नरहरि दास हुआ करता था।
तुलसीदास जी के आराध्य देव कौन थे?
तुलसीदास जी के आराध्य देव श्री राम थे।
तुलसीदास का दूसरा नाम क्या है?
तुलसीदास का दूसरा नाम रामबोला है।