बच्चों की रात की कहानियां – बच्चों के लिए सोते समय कहानियाँ सुनना न केवल मनोरंजन का एक स्रोत है, बल्कि उनके नैतिक विकास के लिए भी महत्वपूर्ण है।
10 बच्चों की रात की कहानियां – Bedtime Stories For Kids In Hindi
1) चोर की दाढ़ी में तिनका
एक बार की बात है, जब राजा अकबर की सबसे प्रिय अंगूठी अचानक खो गई। बहुत खोजने के बाद भी अंगूठी नहीं मिली। इससे राजा अकबर चिंतित हो गए और उन्होंने यह बात बीरबल से कही।
इस पर बीरबल ने महाराज अकबर से पूछा कि महाराज आपने अंगूठी कब उतारी और कहां रखी? राजा अकबर कहते हैं, नहाने से पहले मैंने अपनी अंगूठी (Anguti) अलमारी में रख दी थी और जब मैं नहाकर वापस आया तो अंगूठी (Anguti) अलमारी में नहीं थी।
तब अकबर से बीरबल कहते हैं कि तब आपकी अंगूठी खोई नहीं बल्कि चोरी हुई है और यह सब महल की सफाई करने वाले किसी कर्मचारी द्वारा किया गया है।
यह सुनकर राजा ने सभी सेवकों को उपस्थित होने को कहा। उनके कमरे की सफाई के लिए कुछ पांच कर्मचारी तैनात किए गए थे और पांचों उपस्थित थे।
सेवकों के आने के बाद बीरबल ने उन्हें बताया कि महाराज की अंगूठी जो अलमारी में रखी थी, चोरी हो गई है। अगर तुम में से किसी ने चुराया हो तो मुझे बताओ, नहीं तो मुझे अलमारी से ही पूछना पड़ेगा। फिर बीरबल अलमारी के पास जाकर कुछ फुसफुसाने लगते हैं।
इसके बाद मुस्कुराते हुए वे पांचों सेवकों से कहते हैं कि चोर मुझसे बचकर नहीं भाग सकता, क्योंकि चोर की दाढ़ी में तिनका है। यह सुनकर पांचों सेवकों में से एक ने सबकी नजर बचाकर अपनी दाढ़ी में हाथ फेरा, मानो वह तिनका निकालने की कोशिश कर रहा हो।
इस बीच मंत्री बीरबल की नजर उस पर पड़ी और उन्होंने तुरंत सिपाहियों को चोर को गिरफ्तार करने (पकड़ने) का आदेश दिया। बादशाह अकबर ने जब उससे सख्ती से पूछा तो उसने अपना जुर्म कबूल कर लिया और राजा की अंगूठी लौटा दी। बादशाह अकबर अपनी अंगूठी पाकर बहुत खुश हुए।
कहानी से सीख – इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि ताकत की जगह दिमाग का इस्तेमाल करके हर समस्या का समाधान निकाला जा सकता है।
2) एकता की शक्ति
एक बार कबूतरों का झुंड भोजन की तलाश में उड़ रहा था। उन्हें ज़मीन पर कुछ बिखरे हुए दाने दिखाई दिए, तो वे ज़मीन पर उतर आते हैं और दाने खाने लगते हैं। लेकिन कबूतरों को यह नहीं पता था कि वे दाने एक शिकारी ने डाले थे और उस शिकारी ने जाल भी बिछाया था।
शिकारी छिपकर कबूतरों को देख रहा था, लेकिन कुछ समय बाद जब एक कबूतर उड़ने की कोशिश करता है, तो पाता है कि उसके पैर जाल में फंस गए हैं। डर के मारे सभी कबूतर उड़ने की कोशिश करते हैं। सभी कबूतर अलग-अलग दिशाओं में उड़ने की कोशिश करते हैं, लेकिन कोई भी कबूतर जाल से बाहर नहीं निकल पाता।
लेकिन उन कबूतरों में एक चतुर कबूतर था। वह यह सब देख रहा था। वह दूसरे कबूतरों से कहता है, देखो, हम सब शिकारी के जाल में फंस गए हैं। हम सबके पास यहाँ से निकलने का एक ही रास्ता है। अगर हम अलग-अलग दिशाओं में उड़ने के बजाय एक साथ एक दिशा में उड़ें, तो हम इस जाल के साथ उड़ सकते हैं।
सभी कबूतरों को यह तरकीब पसंद आती है। वे सभी सोचते हैं कि मरने से बेहतर है कि कोशिश की जाए। सभी कबूतर एक साथ एक दिशा में उड़ते हैं और जाल के साथ उड़ जाते हैं।
शिकारी यह सब देखकर हैरान हो जाता है और जोर-जोर से चिल्लाने लगता है, मेरा जाल, मेरा जाल, मेरा जाल।
वह कुछ दूर तक कबूतरों का पीछा करता है लेकिन कबूतर बहुत दूर चले जाते हैं और शिकारी को अपना जाल खोना पड़ता है।
कबूतर पहाड़ी पर अपने दोस्त चूहे के पास आते हैं। चूहा बिल से बाहर आता है और कहता है, अरे दोस्त, क्या हुआ? तुम जाल में कैसे फंस गए? कोई बात नहीं, मैं तुम्हें अभी जाल से बाहर निकालता हूँ।
चूहा अपने दूसरे दोस्तों को साथ लेकर कबूतरों को जाल से आज़ाद कर देता है।
कहानी से सीख – इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि एकता में बहुत शक्ति होती है। इसका इस्तेमाल सही दिशा में किया जाना चाहिए।
3) समय का महत्व
एक चिड़िया और चींटी बहुत अच्छी दोस्त थीं। चिड़िया बहुत आलसी थी लेकिन चींटी अपना सारा काम समय पर करती थी और दिन-रात मेहनत करती थी।
बारिश का मौसम आने वाला था। चींटी ने दिन-रात मेहनत की और ढेर सारा खाना इकट्ठा किया।
चींटी ने चिड़िया से कहा, बहन, बारिश का मौसम आने वाला है। तुम अपने और अपने बच्चों के लिए खाना इकट्ठा करो, नहीं तो तुम्हें परेशानी होगी। लेकिन चिड़िया ने इस बात पर कोई ध्यान नहीं दिया।
बारिश का मौसम आते ही दिन-रात बारिश होने लगी। चिड़िया अपने घोंसले से बाहर नहीं आ पा रही थी, जिससे उसके बच्चे भूख के कारण रोने लगे। यह देखकर चींटी को दया आ गई। उसने चिड़िया से कहा कि तुम मेरे बिल से थोड़ा खाना ले लो।
तब चींटी ने चिड़िया को समझाया कि बहन, अगर तुमने मेरी बात पहले मान ली होती तो आज तुम्हें और तुम्हारे बच्चों को भूखा नहीं रहना पड़ता।
समय के महत्व को समझते हुए चिड़िया ने चींटी से कहा, बहन, आज से मैं आलस्य नहीं करुँगी और हमेशा समय का ध्यान रखूंगी।
4) दूसरों की मदद करना
एक दिन एक बूढ़ा आदमी सड़क पर चल रहा था। अचानक उसकी नज़र एक बिल्ली पर पड़ी। बिल्ली एक गड्ढे में फंसी हुई थी और बाहर निकलने की कोशिश कर रही थी।
बूढ़े आदमी को बिल्ली पर दया आ गई। उसने मदद के लिए हाथ बढ़ाया, लेकिन बिल्ली डर गई। बिल्ली ने अपने पंजे से बूढ़े आदमी के हाथ पर मारा जिससे बूढ़े आदमी को चोट लग गई और इसीलिए बूढ़े आदमी ने अपना हाथ पीछे खींच लिया। लेकिन बूढ़े आदमी ने हार नहीं मानी। वह बार-बार बिल्ली की मदद के लिए अपना हाथ बढ़ाता रहा, लेकिन बिल्ली डर के मारे बार-बार उसके हाथ पर अपने पंजे से मारती रही।
एक और आदमी वहाँ खड़ा होकर यह सब देख रहा था। उसने बूढ़े आदमी से कहा, तुम बिल्ली को बचाने की कोशिश क्यों कर रहे हो? बिल्ली बार-बार अपने पंजे से तुम्हें मार रही है।
इस पर बूढ़े आदमी ने दूसरे आदमी से कहा, बिल्ली अपना काम कर रही है और मैं अपना। बिल्ली का काम अपने पंजे से मारना है और मेरा काम उसे बचाना है। बूढ़े ने अपना प्रयास जारी रखा और बिल्ली को गड्ढे से बाहर निकाला। बिल्ली बहुत खुश हुई और वहाँ से चली गई।
कहानी से सीख – इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि कभी-कभी हमें दूसरों की मदद करने में परेशानी हो सकती है, लेकिन हमें हमेशा दूसरों की मदद करने की कोशिश करनी चाहिए।
5) सहयोग की शक्ति
जंगल में एक खरगोश और एक कछुआ रहते थे। खरगोश बहुत तेज़ था और उसे अपनी गति पर गर्व होता था। वह हमेशा कछुए को चिढ़ाता था और उसके धैर्य और समझदारी को उचित नहीं समझता था।
एक बार खरगोश और कछुआ एक नदी पार कर रहे थे। नदी पार करने के लिए वे एक पत्थर पर चढ़ गए। खरगोश ने बिना सोचे-समझे छलांग लगा दी, लेकिन वह पानी में गिर गया। वह तैरने की कोशिश करने लगा लेकिन वह गहरे पानी में डूब रहा था।
उस समय कछुए ने उसकी मदद की। वह नीचे गया और खरगोश को अपने ऊपर बैठाकर बाहर निकाला। खरगोश ने प्रसन्नतापूर्वक कहा – धन्यवाद मेरे मित्र, तुमने मुझे बचा लिया।
कछुआ ने मुस्कुराते हुए उत्तर दिया – सफलता हमेशा सहयोग में ही निहित होती है। हमें एक-दूसरे की मदद करनी चाहिए, न कि एक-दूसरे को तंग करके परेशानी में डालना चाहिए।
कहानी से सीख – यह कहानी हमें सहयोग के महत्व की शिक्षा देती है। हमें दूसरों की मदद करने में संयमित और सहयोगी होना चाहिए। जब हम एक-दूसरे की मदद करते हैं, तो हम समाज में सुख, शांति और समृद्धि का निर्माण करते हैं।
6) जैसे को तैसा
सुंदरवन के एक ऊँट और सियार में गहरी मित्रता थी। एक दिन सियार ने कहा, ऊँट भाई, थोड़ी दूरी पर खरबूजों का खेत है, क्यों न हम वहाँ दावत खाएँ। मुझे खरबूजे खाए हुए कई दिन बीत गए और ऊँट जाने को तैयार हो गया। वे दोनों खेत में गए और खरबूजे खाने लगे।
जल्दी-जल्दी खा-पीकर सियार को राहत मिली लेकिन ऊँट अभी भी खरबूजे खाने में व्यस्त था। खरबूजे खाने के बाद सियार खेत में एक पेड़ के नीचे बैठ गया और ‘हुवा, हुवा’ जैसी आवाजें निकालने लगा।
यह देखकर ऊंट ने कहा, मित्र, यह क्या कर रहे हो? अगर खेत का मालिक आ गया तो क्या होगा? सियार ने कहा, क्या करूं मित्र, मुझे खाने के बाद गाने की आदत है। अगर मैं नहीं गाऊंगा तो खाया-पिया हजम नहीं होगा। यह कहकर वह फिर ‘हुवा, हुवा’ जैसी आवाजें निकालने लगा।
सियार की आवाज सुनकर खेत का मालिक वहां पहुंच गया और ऊंट को खरबूजे खाते देख उसे डंडे से पीटने लगा। ऊंट को पीटता देख सियार वहां से भाग गया। किसी तरह ऊंट भी अपनी जान बचाकर भागा और थोड़ी ही देर में ऊंट भी जंगल में पहुंच गया।
ऊंट ने सियार को पेड़ के नीचे आराम करते देखा। ऊंट को देखकर सियार खिलखिलाकर हंसने लगा। कुछ दिन ऐसे ही बीत गए। लेकिन ऊंट ने मन ही मन सियार से बदला लेने की ठान ली थी।
एक दिन ऊंट ने सियार से कहा, मित्र चलो नदी में घूमने चलते हैं। सियार बोला, लेकिन मुझे तैरना नहीं आता। ऊंट बोला, कोई बात नहीं, तुम मेरी पीठ पर बैठ सकते हो।
सियार टहलने के लिए तैयार हो गया। वह ऊंट की पीठ पर बैठ गया। ऊंट गहरे पानी में चला गया और गोते लगाने लगा।
सियार बोला, मित्र तुम यह क्या कर रहे हो? ऐसे तो मैं पानी में डूब जाऊंगा।
ऊंट बोला, तुम डूबो या तैरो, पानी देकर मुझे डुबकी लगाने की इच्छा होती है, यह कहकर ऊंट फिर गोते लगाने लगा। इस बार पानी का बहाव तेज था और सियार उसमें बह गया। उसने बहुत कोशिश की लेकिन ऊंट ने ध्यान नहीं दिया।
कहानी से सीख – कुटिल स्वभाव वाले लोग प्रेम की भाषा नहीं समझते। सियार ने ऊँट के साथ छल किया था और ऊँट ने मौका मिलते ही उसे करारा जवाब दिया।
7) लालच का फल
एक लालची कुत्ता था। एक दिन वह टहल रहा था और उसने एक छोटे कुत्ते के पास एक बड़ी हड्डी देखी। उसे उस हड्डी को छीनने का लालच आ गया। फिर उसने छोटे कुत्ते को डराकर उससे हड्डी छीन ली।
उसने सोचा कि जैसे उसने हड्डी छीनी है, वैसे ही कोई उससे यह हड्डी न छीन ले। इसलिए उसने नदी के दूसरी तरफ जाकर आराम से इसे खाने का सोचा।
वह नदी पार करने के लिए एक छोटे से पुल को पार कर रहा था और अचानक उसकी नज़र पानी में गई और उसने नीचे एक और कुत्ते को देखा, जो उसकी अपनी परछाई थी लेकिन उसने उसे दूसरा कुत्ता समझ लिया।
उसने दूसरे कुत्ते के मुँह में भी एक हड्डी देखी। पहले तो वह उसे देखकर छिप जाता है और सोचता है कि अगर मैं उस दूसरे कुत्ते से भी हड्डी छीन लूँ तो मेरे पास दो हड्डियाँ हो जाएँगी और मैं दोनों को आराम से खा लूँगा।
ऐसा सोचकर जैसे ही वह दूसरे कुत्ते को डराने के लिए अपना मुँह खोलता है, उसके मुँह में रखी हड्डी नदी में गिर जाती है और उसे उस दिन भूखा रहना पड़ता है।
कहानी से सीख – इस कहानी से हमें यही सीख मिलती है कि हमें ज़्यादा की लालच नहीं करनी चाहिए।
8) बदसूरत बत्तख का बच्चा
एक बार एक बत्तख ने किसान के खेत में 6 अंडे दिए। कहीं से उन अंडों में एक और अंडा मिल गया। जब बत्तख ने 7 अंडे देखे तो उसे लगा कि शायद उसने गिनती में गलती कर दी है।
कुछ दिनों बाद 6 अंडों से पीले चूजे निकले लेकिन सातवें अंडे से जो चूजा निकला वो दिखने में अलग था। वो थोड़ा बड़ा और आकारहीन भी था। उसके अजीब दिखने की वजह से बाकी सभी चूजे उस पर हंसते थे। वो उसके साथ खेलना भी नहीं चाहते थे।
जब उसने पानी में अपना प्रतिबिंब देखा तो वो बहुत दुखी हो गया। वो दूसरों की तरह नहीं था, इसलिए खुद को बदसूरत समझकर दुखी हो गया। उसके अलग दिखने और अजीबोगरीब चाल को देखकर दूसरे जानवर, पक्षी और किसान के बच्चे भी उसका मजाक उड़ाते थे।
एक दिन एक बच्चे ने उस पर पत्थर भी फेंका, जिससे वो डरकर वहां से भाग गया। वो दूर एक तालाब में चला गया और वहीं रहने लगा। धीरे-धीरे समय बीतता गया और सर्दी आ गई। तालाब का पानी जमने लगा, बर्फ गिरने लगी।
एक दिन उधर से गुजर रहे एक किसान ने बच्चे को ठंड में कांपते देखा तो वह उसे अपनी झोपड़ी में ले आया और उसे खाना और आश्रय दिया। फिर वसंत आ गया, अब तक बच्चा काफी बड़ा हो गया था, तो बेचारा किसान उसे तालाब में छोड़ आया।
अचानक हंसों का एक झुंड वहां आ गया। उन्हें देखकर बेचारा बच्चा छिपने की कोशिश करने लगा, तभी अचानक उसे पानी में अपना प्रतिबिंब दिखाई दिया और वह हैरान रह गया। यह बत्तख नहीं, हंस था। अपना असली रूप जानकर उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा और वह भी हंसों के उस झुंड में शामिल हो गया और अपने नए परिवार के साथ उड़ गया।
9) चींटी और टिड्डा
गर्मी का दिन था। एक टिड्डा एक खेत में उछल-कूद कर रहा था और खूब चहचहा भी रहा था। टिड्डा बहुत खुश था और गाना गाता हुआ आगे बढ़ रहा था। अचानक एक चींटी उसके सामने से गुजरी। उसने देखा कि चींटी मकई के दाने को रोल करके अपने घर ले जाने की कोशिश कर रही थी। यह देखकर टिड्डा उससे बोला कि इतनी मेहनत और मुश्किल काम करने के बजाय चलो कुछ अच्छा समय बिताते हैं।
यह सुनकर चींटी बोली, “मैं सर्दियों के लिए भोजन इक्कठा कर रही हूँ और मैं तुम्हें भी भोजन इक्कठा करने की सलाह दूँगी।” टिड्डा ने उसे जवाब दिया कि अभी सर्दी का मौसम आने में बहुत समय है, अभी इसकी चिंता क्यों करनी है। मेरे पास अभी के लिए पर्याप्त भोजन है।
चींटी वहाँ से चली गई और अपना काम करती रही। टिड्डा चींटी को हर दिन भोजन जमा करते हुए देख रहा था लेकिन वह खुद के लिए काम करने के बारे में कुछ नहीं सोचता था।
अब सर्दी के दिन आ गए थे। अब टिड्डा भूख से बेहाल हो चूका था और दाने-दाने को मोहताज हो गया था, इसके विपरीत चींटी जिसके पास भोजन का भंडार था, जो उसने गर्मी के दिनों में अपने लिए इकट्ठा किया था।
वह अपने घर में इकट्ठा किया हुआ भोजन खाकर आराम से समय बिताने लगी। यह देखकर टिड्डे को भी अपनी गलती का एहसास हुआ और वह सोचने लगा कि अगर उसने भी समय रहते अपने लिए भोजन इकट्ठा कर लिया होता तो आज उसे दाने-दाने को मोहताज नहीं होना पड़ता।
10) लालची चूहा
एक बार एक चूहा था जिसने कई दिनों से कुछ नहीं खाया था और बहुत भूखा था। वह बहुत पतला हो गया था। बहुत खोजने के बाद चूहे को मकई के दानों से भरी एक टोकरी मिली। टोकरी में एक छोटा सा छेद था, जिसमें वह आसानी से समा सकता था।
वह टोकरी के अंदर गया और जी भरकर मकई खाया। लेकिन पेट भरने के बाद चूहे ने खाना बंद नहीं किया, वह और खाता रहा, भले ही उसका पेट बहुत फूल गया था। अब चूहे का पेट इतना बड़ा हो गया था कि वह बाहर निकलने के लिए छेद से नहीं जा पा रहा था। चूहा बहुत परेशान हो गया, तभी एक और चूहा वहां से गुजर रहा था। चूहे ने उसे पूरी कहानी सुनाई, जिसे सुनकर दूसरे चूहे ने कहा कि अब उसे फिर से पतला होने तक इंतजार करना होगा, ताकि वह उस छेद से बाहर निकल सके।
कहानी से सीख – लालच मुसीबत में डाल सकता है।