51 शक्तिपीठ के नाम और जगह – 51 Shakti Peeth Name List In Hindi With Body Parts

51 Shakti Peeth List In Hindi – हिंदू धर्म के अनुसार, जिन पवित्र स्थानों पर देवी सती के शरीर के अंग गिरे थे, उन्हें शक्तिपीठ कहा जाता है। ये पवित्र तीर्थस्थल पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में फैले हुए हैं, पुराणों में 51 शक्तिपीठों के नाम और स्थानों का अलग-अलग वर्णन किया गया है। अलग-अलग ग्रंथों में इनकी संख्या का भी अलग-अलग उल्लेख किया गया है।

आज के इस लेख में हम आपको 51 शक्तिपीठ के नाम, जगह, शरीर के अंगो सहित बताने वाले है। तो आइये जानते है 51 शक्तिपीठ के नाम, जगह, शरीर के अंग (51 Shakti Peeth List With Body Parts In Hindi) –

51 शक्तिपीठ के नाम और जगह हिंदी में (51 Shakti Peeth List In Hindi)

51 शक्तिपीठ के नाम, जगह और बॉडी पार्ट्स कुछ इस प्रकार है (51 Shakti Peeth Name List In Hindi) –

1) हिंगलाज शक्तिपीठ

यह कराची से 125 किलोमीटर दूर है। यहां माता का ब्रह्मरंध्र (सिर) गिरा था। इसकी शक्ति कोटरी (भैरवी-कोट्टवीशा) है और भैरव को भीम लोचन कहते हैं।

2) शंकररे शक्तिपीठ

यह शक्तिपीठ पाकिस्तान में कराची के पास स्थित है, यहां माता की आंख गिरी थी। इसकी शक्ति महिषासुरमर्दिनी है और भैरव को क्रोधीश कहते हैं।

3) सुगंधा शक्तिपीठ

यह बांग्लादेश में शिकारपुर के पास सोंध नदी के तट पर स्थित है। यहां माता की नाक गिरी थी। इसकी शक्ति सुनंदा है और भैरव को त्र्यंबक कहते हैं।

4) महामाया शक्तिपीठ

भारत के कश्मीर में पहलगाम के समीप माता का कंठ गिरा था। महामाया शक्तिपीठ की शक्ति महामाया है और भैरव को त्रिसंध्येश्वर कहा जाता हैं।

5) ज्वालाजी शक्तिपीठ

हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में माता की जीभ गिरी थी। इसे ज्वालाजी स्थान कहते हैं। इसकी शक्ति सिद्धिदा (अम्बिका) है तथा भैरव को उन्मत्त कहते हैं।

6) त्रिपुर मालिनी शक्तिपीठ

पंजाब के जालंधर में देवी तालाब, जहां माता का बायां वक्ष(स्तन) गिरा था। इसकी शक्ति त्रिपुर मालिनी है तथा भैरव को भीषण कहते हैं।

7) वैद्यनाथ शक्तिपीठ

झारखंड के देवघर में स्थित वैद्यनाथ धाम, जहां माता का हृदय गिरा था। इसकी शक्ति जय दुर्गा है तथा भैरव को वैद्यनाथ कहते हैं।

8) महामाया शक्तिपीठ

नेपाल में स्थित गुजरेश्वरी मंदिर, जहां माता के दोनों घुटने (जानु) गिरे थे। इसकी शक्ति महशिरा (महामाया) है तथा भैरव को कपाली कहते हैं।

9) दाक्षायनी शक्तिपीठ

तिब्बत में कैलाश मानसरोवर के मनसा के पास एक चट्टान पर माता का दाहिना हाथ गिरा था। इसकी शक्ति दाक्षायनी है तथा भैरव अमर हैं।

10) विरजा शक्तिपीठ

यह शक्तिपीठ ओडिशा के विरज में उत्कल में स्थित है। यहां माता की नाभि गिरी थी। इसकी शक्ति विमला है और भैरव को जगन्नाथ कहते हैं।

11) गंडकी शक्तिपीठ

नेपाल में मुक्ति नाथ मंदिर, जहां माता का सिर या गंडस्थल यानी कनपटी गिरी था। इसकी शक्ति गंडकी चंडी है और भैरव चक्रपाणि हैं।

12) बहुला शक्तिपीठ

पश्चिम बंगाल में अजय नदी तट पर स्थित बाहुल नामक स्थान स्तिथ है, यंहा माता रानी का बायां हाथ गिरा था, जिसकी शक्ति देवी बाहुला है और भैरव को भीरुक कहा जाता हैं।

13) उज्जयिनी शक्तिपीठ

पश्चिम बंगाल में उज्जयिनी नाम से एक स्थान है, जंहा माता की दाहिनी कलाई गिरी थी, जिसकी शक्ति मंगल चंद्रिका है और भैरव को कपिलांबर कहते हैं।

14) त्रिपुर सुंदरी शक्तिपीठ

त्रिपुरा के राधाकिशोरपुर नामक गांव में माता बाढ़ी पर्वत के शिखर पर माता रानी का दाहिना पैर गिरा था। जिसकी शक्ति त्रिपुर सुंदरी है और भैरव को त्रिपुरेश कहते हैं।

15) भवानी शक्तिपीठ

बांग्लादेश में चंद्रनाथ पर्वत पर छत्राल (चट्टल या चहल) नामक स्थान पर माता की दाहिनी भुजा गिरी थी। भवानी इसकी शक्ति है तथा भैरव को चंद्रशेखर कहते हैं।

16) भ्रामरी शक्तिपीठ

पश्चिम बंगाल में जलपाईगुड़ी के त्रिस्रोत स्थान पर माता का बायां पैर गिरा था। इसकी शक्ति भ्रामरी है तथा भैरव को अंबर और भैरवेश्वर कहते हैं।

17) कामाख्या शक्तिपीठ

असम के कामगिरि में नीलांचल पर्वत पर कामाख्या स्थान पर माता का योनि भाग गिरा था। कामाख्या इसकी शक्ति है तथा भैरव को उमानंद कहते हैं।

18) प्रयाग शक्तिपीठ

उत्तर प्रदेश में इलाहाबाद (प्रयाग) के संगम तट पर माता के हाथ की अंगुली गिरी थी। इसकी शक्ति ललिता है तथा भैरव को भाव कहते हैं।

19) जयंती शक्तिपीठ

बांग्लादेश, खासी पर्वत पर जयंती मंदिर स्तिथ है, यंहा माता रानी की बाईं जांघ गिरी थी। जयंती शक्तिपीठ की शक्ति जयंती है तथा भैरव को क्रमदीश्वर के नाम से जाना जाट हैं।

20) युगाद्या शक्तिपीठ

पश्चिम बंगाल के युगाद्या में माता के दाहिने पैर का अंगूठा गिरा था। इसकी शक्ति भूतधात्री है और भैरव को क्षीर खंडक कहते हैं।

21) कालीपीठ शक्तिपीठ

कोलकाता के कालीघाट में माता के बाएं पैर का अंगूठा गिरा था। इसकी शक्ति कालिका है और भैरव को नकुशील कहते हैं।

22) किरीट शक्तिपीठ

पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले के किरीटकोन गांव के पास माता का मुकुट गिरा था। इसकी शक्ति विमला है और भैरव को संवतरात कहते हैं।

23) विशालाक्षी शक्तिपीठ

यूपी के काशी में मणिकर्णिका घाट पर माता के रत्नजड़ित कुंडल गिरे थे। शक्ति विशालाक्षी मणिकर्णी हैं और भैरव को काल भैरव कहते हैं।

24) कन्याश्रम शक्तिपीठ

कन्याश्रम में माता के शरीर का पिछला हिस्सा गिरा था। इसकी शक्ति सर्वाणी है और भैरव को निमिष कहते हैं।

25) सावित्री शक्तिपीठ

हरियाणा राज्य के कुरुक्षेत्र में माता की एड़ी (गुल्फ) गिरी थी। सावित्री शक्तिपीठ की शक्ति सावित्री है तथा भैरव को स्थाणु कहा जाता हैं।

26) गायत्री शक्तिपीठ

अजमेर के निकट पुष्कर के मणिबंध स्थान के गायत्री पर्वत पर दो मणिबंध गिरे थे। इसकी शक्ति गायत्री है तथा भैरव को सर्वानन्द कहते हैं।

27) श्रीशैल शक्तिपीठ

बांग्लादेश के केशैल नामक स्थान पर माता की गर्दन (ग्रीवा) गिरी थी। इसकी शक्ति महालक्ष्मी है तथा भैरव को शम्बरानन्द कहते हैं।

28) देवगर्भा शक्तिपीठ

पश्चिम बंगाल में कोपई नदी के तट पर कांची नाम का एक स्थान है, जंहा पर माता रानी की अस्थि गिरी थी। देवगर्भा शक्तिपीठ की शक्ति देवगर्भा है तथा भैरव को रुरु कहा जाता हैं।

29) कालमाधव शक्तिपीठ

मध्य प्रदेश में शोण नदी के तट के पास जहां गुफा है, वहां माता का बायां नितंब गिरा था। इसकी शक्ति काली है तथा भैरव को असितांग कहते हैं।

30) शोणद शक्तिपीठ

मध्य प्रदेश के शोणदेश में माता का दायां नितंब गिरा था। इसकी शक्ति नर्मदा है और भैरव को भद्रसेन कहते हैं।

31) शिवानी शक्तिपीठ

यूपी में चित्रकूट के पास रामगिरि में माता का दाहिना वक्ष गिरा था। इसकी शक्ति शिवानी है और भैरव को चंड कहते हैं।

32) कात्यायनी शक्तिपीठ

मथुरा के पास वृंदावन में भूतेश्वर स्थान पर माता के गुच्छ और चूड़ामणि गिरी थी। इसकी शक्ति उमा है और भैरव को भूतेश कहते हैं।

33) नारायणी शक्तिपीठ

कन्याकुमारी-तिरुवनंतपुरम मार्ग पर सुचित्रतीर्थम शिव मंदिर है, जहां माता के दांत (ऊपरी दांत) गिरे थे। शक्ति नारायणी है और भैरव संहार हैं।

34) वाराही शक्तिपीठ

पंचसागर (अज्ञात स्थान) पर माता के निचले दांत गिरे थे। इसकी शक्ति वाराही है और भैरव को महारुद्र कहते हैं।

35) अपर्णा शक्तिपीठ

बांग्लादेश के भवानीपुर गांव के पास करतोया के तट पर माता की पायल गिरी थी। इसकी शक्ति अर्पणा है और भैरव को वामन कहते हैं।

36) श्रीसुंदरी शक्तिपीठ

लद्दाख पर्वत पर माता रानी की दाहिने पैर की पायल गिरी थी। श्रीसुंदरी शक्तिपीठ की शक्ति श्रीसुंदरी है और भैरव को सुंदरानंद कहते हैं।

37) कपालिनी शक्तिपीठ

पश्चिम बंगाल राज्य के पूर्वी मेदिनीपुर जिले के समीप तामलुक में स्थित विभास स्थान पर माता रानी की बायीं एड़ी गिरी थी। कपालिनी शक्तिपीठ की शक्ति कपालिनी (भीमरूप) है तथा भैरव को शर्वानंद कहते हैं।

38) चंद्रभागा शक्तिपीठ

गुजरात के जूनागढ़ प्रभास क्षेत्र में माता का उदर गिरा था। इसकी शक्ति चंद्रभागा है तथा भैरव को वक्रतुंड कहते हैं।

39) अवंति शक्तिपीठ

उज्जैन नगर में शिप्रा नदी के तट के पास भैरव पर्वत पर माता के होठ गिरे थे। इसकी शक्ति अवंति है तथा भैरव को लंबकर्ण कहते हैं।

40 ) भ्रामरी शक्तिपीठ

महाराष्ट्र के नासिक शहर में गोदावरी नदी घाटी में स्थित जनस्थान पर माता की ठोड़ी गिरी थी। इसकी शक्ति भ्रामरी है तथा भैरव विकृताक्ष हैं।

41) सर्वशैल शक्तिपीठ

आंध्र प्रदेश के कोटिलिंगेश्वर मंदिर के पास माता का बायां गाल गिरा था। इसकी शक्ति राकिनी है तथा भैरव को वत्सनाभम कहते हैं।

42) गोदावरीतिर शक्तिपीठ

यहाँ माता के गाल का दाहिना भाग गिरा था। इसकी शक्ति विश्वेश्वरी है तथा भैरव को दंडपाणि कहते हैं।

43) कुमारी शक्तिपीठ

बंगाल राज्य के हुगली जिले के अंतर्गत रत्नाकर नदी के तट पर माता रानी का दाहिना कंधा गिरा था। कुमारी शक्तिपीठ की शक्ति कुमारी है तथा भैरव को शिव कहा जाता हैं।

44) उमा महादेवी शक्तिपीठ

भारत-नेपाल सीमा पर जनकपुर रेलवे स्टेशन के पास मिथिला में माता का बायां कंधा गिरा था। इसकी शक्ति उमा है तथा भैरव को महोदर कहते हैं।

45) कालिका शक्तिपीठ

पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में नलहाटी स्टेशन के पास नलहाटी में माता के पैर की हड्डी गिरी थी। इसकी शक्ति कालिका देवी है तथा भैरव को योगेश कहते हैं।

46) जयदुर्गा शक्तिपीठ

कर्नाटक (अज्ञात स्थान) में माता के दोनों कान गिरे थे। इसकी शक्ति जय दुर्गा है तथा भैरव को अभिरु कहते हैं।

47) महिषमर्दिनी शक्तिपीठ

पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में आने वाली पापहर नदी के तट पर माता का भ्रुमध्य (मन:) गिरा था। महिषमर्दिनी शक्तिपीठ की शक्ति महिषमर्दिनी तथा भैरव वक्रनाथ हैं।

48) यशोरेश्वरी शक्तिपीठ

बांग्लादेश के खुलना जिले में माता के हाथ-पैर (पाणिपद्म) गिरे थे। इनकी शक्ति यशोरेश्वरी है तथा भैरव को चंड कहते हैं।

49) फुल्लरा शक्तिपीठ

पश्चिम बंगाल के लाभपुर स्टेशन से दो किमी दूर अट्ठास स्थान पर माता के होठ गिरे थे। इनकी शक्ति फुल्लरा है तथा भैरव को विश्वेश कहते हैं।

50) नंदिनी शक्तिपीठ

पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले के नंदीपुर में एक बरगद के पेड़ के पास माता का हार गिरा था। इनकी शक्ति नंदिनी है तथा भैरव नंदिकेश्वर हैं।

51) इन्द्राक्षी शक्तिपीठ

श्रीलंका के त्रिंकोमाली में संभवतः माता की पायल गिरी थी। इसकी शक्ति इन्द्राक्षी है तथा भैरव को राक्षसेश्वर कहते हैं।

52) अम्बिका शक्तिपीठ

पैर का अंगूठा विराट (अज्ञात स्थान) में जा गिरा था। अम्बिका शक्तिपीठ की शक्ति अम्बिका है और भैरव को अमृत कहते हैं।

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