1 Dollar In Indian Rupees In 1947 – डॉलर की तुलना में रुपया अपने सबसे नीचे के स्तर पर गिर चूका है, जो अब तक का सबसे कमज़ोर स्तर है। कभी डॉलर के लगभग बराबर स्तिथि बनाए रखनी वाली भारतीय मुद्रा वर्तमान समय में इतनी कमज़ोर कैसे हो गई? कई बार किए गए ऐसे दावे भी सामने आए हैं, जिसमे कहा गया है की रुपया कभी डॉलर से ज़्यादा मज़बूत हुआ करता था।
भारत को कभी सोने की चिड़िया था। बाद में अलग-अलग जगहों से आए आक्रमणकारियों ने भारत को दोनों हाथों से लूटा। 1947 में जब भारत आज़ाद हुआ तो समृद्धि की एक नई यात्रा शुरू हुई। 1947 से पहले भारत आज जैसा देश नहीं था बल्कि अलग-अलग रियासतों में बंटा हुआ था। सभी रियासतों ने अपने हिसाब से मुद्रा बना रखी थी। आज़ादी के बाद भारत की एक मुद्रा लागू की गई, जिसे पूरे देश में स्वीकार किया गया।
वर्तमान समय में एक डॉलर की कीमत भारतीय करेंसी में 83 रुपये से भी कही ज्यादा है। पिछले कुछ वर्षो में डॉलर की तुलना रुपये की कीमत में कमी आई है। ऐसा नहीं है कि डॉलर सिर्फ भारतीय रुपये के मुकाबले ही मजबूत हुआ है, बल्कि लगभग सभी देशों की करेंसी के मुकाबले डॉलर की साख बढ़ी है। विदेश जाने वाले लोग अक्सर एक तरकीब अपनाते हैं। वे पहले रुपये को डॉलर में बदलवा लेते हैं और बाद में उसे स्थानीय करेंसी में बदलवा लेते हैं। इससे उन्हें डॉलर की मजबूती का फायदा मिलता है। तो आइये जानते हो डॉलर रेट इन इंडिया 1947 (1 Dollar In Indian Rupees In 1947) –
1947 में डॉलर की कीमत कितनी थी (1 Dollar In Indian Rupees In 1947)
भारत की आजादी के वक्त रुपया डॉलर के बराबर नहीं था। एक रिपोर्ट के मुताबिक 1947 में एक डॉलर 3.30 भारतीय रुपये के बराबर था। वही कुछ अन्य रिपोर्ट के अनुसार 1947 में एक डॉलर की कीमत 4.16 रुपए के बराबर हुआ करती थी। 1949 तक एक डॉलर 4.76 रुपये में आने लगा। इसके बाद रुपया कमजोर होता गया और डॉलर मजबूत होता गया।
1980 में एक डॉलर की कीमत 7.86 भारतीय रुपए और 1990 में 17.01 रुपए हो गई। वर्ष 2000 में एक डॉलर खरीदने के लिए 43.50 भारतीय रुपए खर्च करने पड़ते थे। जनवरी 2010 में यह दर 46.21 रुपए तक आ पहुंची, वही 10 साल बाद जनवरी 2020 में 1 डॉलर का मूल्य 70.96 रुपए हो गया। वर्तमान 2024 में 1 डॉलर का विनिमय मूल्य 83.46 रुपए के आसपास है।
आजादी से पहले क्या था?
अगर आजादी से पहले यानी 1947 की बात करें तो चूंकि भारत एक स्वतंत्र देश नहीं था और अमेरिका के साथ व्यापार का कोई नियमन नहीं था, इसलिए रुपया बनाम डॉलर जैसी कोई चीज नहीं थी। रुपया अंग्रेजों द्वारा चलाई जाने वाली मुद्रा थी। एक अलग तर्क दिया जाता है कि 1947 से पहले भारत ब्रिटिश शासन के अधीन था, इसलिए रुपए का मूल्य अधिक था, क्योंकि ब्रिटिश पाउंड का मूल्य भी अधिक था।
डॉलर बनाम रुपया का इतिहास
1944 में दुनिया में पहली बार ब्रेटन वुड्स समझौता पारित हुआ था। इस समझौते के तहत दुनिया की हर मुद्रा का मूल्य निर्धारित किया गया था। 1947 तक (जब भारत स्वतंत्र हुआ) लगभग सभी देशों ने इस समझौते को स्वीकार कर लिया और पूरी दुनिया में इसी आधार पर मूल्य निर्धारित होने लगा।
1947 में 1 डॉलर के बराबर हुआ करता था 1 रुपया, क्या है इस बात की सच्चाई?
आपको बता दे की आजादी से लेकर साल 1966 तक भारतीय रुपए (Indian Rupess) की कीमत को डॉलर (Dollar) से नहीं आंका जाता था, बल्कि भारतीय रुपए को ब्रिटिश पाउंड (British Pound) से आंका जाता था।
रुपए के अवमूल्यन पर सेंटर फॉर सिविल सोसाइटी ने एक पेपर तैयार किया है। इस पेपर के मुताबिक, 1949 में ब्रिटिश करेंसी का अवमूल्यन हुआ था। इसके बाद 1966 में भारतीय करेंसी यानी रुपए की कीमत अमेरिकी डॉलर से आंकी जाने लगी। इस दौरान अवमूल्यन के बाद रुपया 1 डॉलर के मुकाबले 7.50 रुपए के स्तर पर पहुंच गया।
1947 में 1 रुपया 1 डॉलर के बराबर था, इस दावे पर यकीन करना इसलिए भी संभव नहीं है, क्योंकि 1947 में जब भारत आजाद हुआ था, तब उसने दूसरे देशों से कोई कर्ज नहीं लिया था, बिज़नेस भी न के बराबर था। ऐसे में यह असंभव है कि 1 रुपया 1 डॉलर के बराबर हो।
तीसरी बात वह यह है कि 1947 में भारत की विकास दर 0.8 प्रतिशत थी। ऐसे में भारतीय रुपये को डॉलर के बराबर रखना संभव ही नहीं था।
कैसे भारतीय रुपया होता गया कमजोर?
आजादी के बाद साल 1947 से भारतीय करेंसी को डॉलर से मापा जाने लगा। इससे पहले ब्रिटिश शासन के चलते यह तुलना पाउंड से की जाती थी। 1947 में एक डॉलर की कीमत 4.16 रुपये ( या 3.30 भारतीय रुपये) के बराबर हुआ करती थी। इसके बाद 1950 से 1966 तक एक डॉलर की कीमत 4.76 रुपये रही।
इसके बाद भारतीय अर्थव्यवस्था में गिरावट, विदेशों से लिए गए कर्ज, 1962 का भारत-चीन युद्ध, 1965 का भारत-पाकिस्तान युद्ध और 1966 में पड़े भीषण सूखे के कारण 1967 में एक डॉलर की कीमत 7.50 रुपये के बराबर हो गई।
कच्चे तेल की आपूर्ति के संकट के कारण एक डॉलर की कीमत 8.10 रुपये पर पहुंच गई। इसके बाद देश में राजनीतिक संकट और भारी कर्ज के कारण रुपये में एक दशक से अधिक समय तक गिरावट रही, जो 1990 तक घटकर 17.50 रुपये पर आ गई। 1974. इसके बाद देश में राजनीतिक संकट और भारी कर्ज के चलते रुपये में एक दशक से ज्यादा की गिरावट आई, जो 1990 तक घटकर 17.50 रुपये पर आ गई।
1990 के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था संकट के साये में थी। साल 1992 में एक डॉलर 25.92 रुपये के बराबर था। 2004 में एक डॉलर की कीमत 45.32 रुपये थी। मोदी सरकार के सत्ता में आने के एक साल बाद साल 2014 में एक डॉलर की कीमत 63 रुपये तक पहुंच चुकी थी, इसके बाद भी रुपये में कमजोरी का सिलसिला अब तक जारी है।
2021 में एक डॉलर की कीमत 74.57 रुपये के बराबर थी। 2022 में रुपया डॉलर के मुकाबले 10 फीसदी गिरा था। जब एक डॉलर की कीमत 83 रुपये पर पहुंच गई थी। फिलहाल एक डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत 83.46 रुपये के आसपास है।